राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत पशुपालन विभाग ने गोवंशीय और महिषवंशीय पशुओं में टीकाकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। खुरपका-मुंहपका रोग से पशुओं को बचाने के लिए यह द्वितीय चरण का टीकाकरण अभियान है।

गर्मियों में पशुओं को रोग होने लगते हैं। जिससे उन्हें पीड़ा होती है। वह घास और चारा आदि भी लेना बंद कर देते हैं। जिससे दूध आदि पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। खुरपका, मुंहपका रोग के उन्मूलन को टीकाकरण का कार्य शनिवार से शुरू हो गया है। यह टीके चार माह से कम आयु वर्ग के पशु और आठ माह से ऊपर की गर्भित मादाओं को नहीं लगेंगे। पशुपालन विभाग निश्शुल्क टीकाकरण कर रहा है।
यह अभियान एक माह तक चलेगा। इसके अलावा 12 अंकों वाला विशेष कर्णटैग भी पशुओं को लगाया जा रहा है। पशुओं के पेट के कीड़ों की दवा भी दी जा रही है। पशु एवं पशुस्वामी का आनलाइन पंजीकरण भी किया जा रहा है। पहले से टैग लगे पशुओं को नए टैग नहीं लगेंगे।
पशुपालक क्या करें
टीकाकरण के बाद पशु को छांव में बांधे, किसी-किसी पशु को टीके के प्रभाव से एक दो दिन बुखार आ सकता है। वह स्वत: या हल्के उपचार से ठीक भी हो जाता है।
मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डा रवींद्र चंद्रा ने बताया कि स्वस्थ पशु खुशहाल किसान, उत्पादक पशु संपन्न किसान की थीम पर टैगिंग और टीकारण का कार्य विभागीय कार्मिकों के साथ ही प्रशिक्षित स्थानीय युवाओं, प्राइवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता भी कर रहे हैं। वह नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे।
टैग किए पशुओं को ही सुविधाएं आदि मिल सकेगी। पशुओं को टैग लगाना आवश्यक है। टीकाकरण से पशुओं की उत्पादन क्षमता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। जबकि पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal