नारायण नेत्रालय, बैंगलोर के चेयरमैन डॉ के भुजंग शेट्टी और उनकी टीम ने ब्लैक फंगस का शीघ्रता से पता लगाने के लिए एक विशेष प्रकार के किट के बारे में सूचित किया है। इसे ‘डच किट’ नाम दिया गया है। डॉ शेट्टी बताते हैं कि डच किट के परीक्षण की प्रभावकारिता कोविड-19 के लिए आरटी-पीसाआर के बराबर की है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह संक्रमण की जल्द पुष्टि कर होने वाली मौत के आंकड़ों को कम करने में काफी सहायक हो सकता है।
विशेषज्ञ इस किट को मान रहे हैं वरदान
डॉ शेट्टी कहते हैं- पिछले दिनों देश में ब्लैक फंगस संक्रमण के कारण लोगों में खासा डर का माहौल देखा गया है। हमने बहुत से रोगियों को देखा जिनको नाक बंद होने या चेहरे के कुछ हिस्से में दर्द की शिकायत थी। ऐसे में लोग जल्द से जल्द म्यूकोरमाइकोसिस का पता लगाकर इसका इलाज कराने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि हमारे पास इसके त्वरित निदान के लिए कोई उपकरण नहीं है। इन समस्याओं को कम करने में डच किट काफी फायदेमंद हो सकती है।
जानिए कैसे काम करेगी यह किट?
विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस संक्रमण के परीक्षण के लिए रोगी के रक्त और घाव का नमूना लिया जाता है।ब्लैक फंगस की पांच मुख्य किस्में हैं और इस किट के माध्यम से इन सभी का परीक्षण कर आसानी से अंतर किया जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि इसके परीक्षण की सटीकता भी 100 प्रतिशत बताई जा रही है। इस किट से 25 रोगियों का सफल परीक्षण भी किया जा चुका है। एक किट की कीमत करीब 7000 रुपए बताई जा रही है।
संक्रमण की पुष्टि करने में लगता था ज्यादा समय
फिलहाल देश में मौजूद तकनीक के माध्यम से ब्लैक फंगस की पुष्टि करने में 10-15 दिन तक लग जाते थे। ब्लैक फंगस का सटीक ग्रुप जानने से पहले लैब में कल्चर करने की आवश्यकता होती थी। डट-किट के माध्यम से अब यह परीक्षण अधिकतम 48 घंटे में ही किया जा सकेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस की समय से पहचान न हो पाने के कारण लोगों में मौत का खतरा अधिक देखा जा रहा था।