रूस ईरान को एक एडवांस सैटेलाइट मुहैया कराने की तैयारी कर रहा है, जो उसे मध्य पूर्व में संभावित सैन्य लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम बनाएगा. अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने गुरुवार को बताया कि इस योजना के तहत हाई रिज़ॉल्यूशन कैमरे से लैस रूस निर्मित कनोपस-वी (Kanopus-V) सैटेलाइट ईरान को दिया जाना है. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस इसे कुछ ही महीनों में लॉन्च कर सकता है.
रूस के इस फैसले से इजरायल की चिंता बढ़ सकती है. क्योंकि ईरान उन देशों में एक है जो इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन के सक्रिय चरमपंथी संगठन हमास का लगातार समर्थन कर रहा है. पूर्वी यरुशलम स्थित अल-अक्सा मस्जिद में 10 मई 2021 को भड़के खूनी संघर्ष के बाद हमास ने लगातार 11 दिन तक इजरायल के खिलाफ रॉकेट दागे.
बहरहाल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की जिनेवा में होने वाली बैठक से पहले वॉशिंगटन पोस्ट की यह रिपोर्ट सामने आई है. अमेरिका और ईरान 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं. इस करार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रद्द करके ईरान पर कई आर्थिक पाबंदियां लागू कर दी थीं. बराक ओबामा के समय हुए इस समझौते के बहाल होने से ईरान पर लगीं आर्थिक पाबंदियां खत्म हो जाएंगी और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाया जा सकेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट के जरिये ईरान फारस की खाड़ी की तेल रिफाइनरियों, इजरायली सैन्य ठिकानों और उन इराकी बैरकों की निरंतर मॉनिटरिंग कर सकेगा जहां अमेरिकी सैनिक रहते हैं. तीन अनाम सूत्रों के जरिये रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इन सूत्रों में एक वर्तमान और एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी और ईरान सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने बिक्री के बारे में जानकारी दी.
रूसी सैटेलाइट कनोपस-वी नागरिक उपयोग के लिए है. ईरान के नेताओं और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स ने 2018 के बाद से रूस की कई यात्राएं की हैं ताकि इस संबंध में समझौते पर बातचीत किया जा सके.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी विशेषज्ञों ने इस वसंत में ईरान की यात्रा की ताकि तेहरान के पश्चिम में कारज के पास एक नवनिर्मित सेंटर से उपग्रह का संचालन करने वाले कर्मचारियों की ट्रेनिंग में मदद की जा सके.
रिपोर्ट में बताया गया है कि सैटेलाइट में उन्नत किस्म के कई रूसी हार्डवेयर का इस्तेमाल किया गया है. इसमें 1.2 मीटर का हाई रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा हुआ है. इससे ईरान की क्षमताओं में काफी सुधार होगा. हालांकि, अमेरिकी जासूजी उपग्रहों से इसकी क्षमता काफी कम है.
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने अप्रैल 2020 में कहा था कि उन्होंने देश के पहले सैन्य उपग्रह को कक्षा में सफलतापूर्वक लॉन्च कर लिया है. इससे तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने तेहरान को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया था. उनका मानना था कि ईरान की यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन है.
रूस का यह फैसला इजरायल की टेंशन बढ़ाने वाला है. इजरायल का मानना है कि उसके खिलाफ काम करने वाले क्षेत्रीय चरमपंथी गुटों की ईरान मदद करता है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान हमास को हथियार मुहैया कराने और मिसाइल निर्माण में हमास की मदद करता है. रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि ईरान हमास को मिसाइल बनाने की डिजाइन, टेक्नोलॉजी सहित आर्थिक मदद भी करता है.
परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए अमेरिका और ईरान के बीच चल रही बातचीत का इजरायल विरोध कर रहा है. इजरायल का कहना है कि परमाणु करार बहाल करने से ईरान को प्रोत्साहन मिलेगा जिसने अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक नहीं लगाई है. इजरायल को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बनाने में जुटा हुआ है. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में कहा था कि वह इस करार को रोकने के लिए सभी प्रयास करेंगे चाहे अमेरिका के साथ उनके रिश्तों को कुर्बान ही क्यों न करना पड़े.