वाराणसी में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. जहां रविवार को एक व्यक्ति की मौत के बाद घंटों तक उसका शव मां के सामने ही पड़ा रहा. कोई अंतिम संस्कार के लिए आगे तक नहीं आया. बाद में जब कानपुर से छोटा भाई लौटा तब जाकर जैसे-तैसे कंधा देने के लिए लोग आगे आए. लोग थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि नगर पालिका के कर्मचारी वहां पहुंच गए और उन्होंने शव को ठेले पर रख दिया. छोटा भाई मना करता रहा लेकिन नगर पालिका ने एक न सुनी और ठेले पर लादकर ही शव को श्मशान घाट तक ले गए.
मामला वाराणसी के रामनगर क्षेत्र का है, जहां रविवार सुबह 44 साल के प्रशांत की मौत हो गई थी. लेकिन कोरोना के डर की वजह से कंधा देने के लिए लोग आगे तक नहीं आए. घर में सिर्फ प्रशांत की मां ही थीं, जिनका रो-रोकर बुरा हाल था. कई घंटों तक मां के सामने ही बेटे का शव पड़ा रहा, लेकिन किसी ने दया नहीं दिखाई.
बाद में जब छोटा भाई कानपुर से लौटा तो अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई. जैसे-तैसे लोगों ने हिम्मत जुटाई और शव को श्मशान घाट तक कंधा देने की ठानी. शव को रखकर लोग कुछ आगे बढ़े ही थे कि इतने में वहां नगर पालिका के कर्मचारी पहुंच गए. उन्होंने शव को कंधे से उतार लिया और ठेले पर रख दिया.
छोटे भाई और लोगों ने इसका विरोध किया लेकिन कर्मचारियों ने एक न सुनी और श्मशान घाट की ओर बढ़ चले. रामनगर नगर पालिका प्रशासन और उनके कर्मचारियों की इस करतूत से इलाके में लोगों में काफी रोष देखने को मिला है.
कोरोनाकाल में आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जब शव को किसी ट्रॉली, ठेले या रिक्शे पर लादकर श्मशान घाट ले जाया जा रहा है. इससे पता चलता है कि कोरोनाकाल में मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं.