जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने युवाओं से हथियार छोड़ने और बात करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हथियारों की भाषा कोई नहीं समझेगा। यदि आप शांति से अपने विचार रखेंगे तो दुनिया आपकी बात सुनेगी। बंदूक थामने से मौत के अलावा कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
कहा कि अगर प्रधानमंत्री असम के आतंकवादियों से मुख्यधारा में शामिल होने और हथियार छोड़ने की अपील कर सकते हैं, बोरो (बोडो) के साथ बातचीत हो सकती है, तो जम्मू-कश्मीर में भी ऐसा करने में क्या मुश्किल है? जेल के अलावा कोई विकल्प क्यों नहीं है? यह अन्याय कब तक चलता रहेगा?
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमसे जो छीन लिया गया है, हमअपने राष्ट्र से उसे वापस चाहते हैं।
यदि आप(केंद्र सरकार) जम्मू-कश्मीर के लोगों को चाहते हैं, तो आपको हमारे सम्मान को बहाल करना होगा। कोई अन्य रास्ता नहीं है। मेरे कहने पर बीजेपी को गुस्सा क्यों आता है? क्या मैं पाकिस्तान से पूछूंगी
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