कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सत्ता पर काबिज हुए 20 महीने भी नहीं गुजरे हैं और उनके खिलाफ बगावत के सुर उठने लगे हैं. कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री केएस ईश्ररप्पा ने सीएम येदियुरप्पा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. ईश्वरप्पा ने राज्यपाल वजुभाई वाला को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है कि मुख्यमंत्री उनके कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक से कर दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि येदियुरप्पा के खिलाफ बागवती तेवर अपनाने वाले ईश्वरप्पा कौन हैं?
बता दें कि दक्षिण भारत में बीजेपी की पहली पीढ़ी के नेता और पांच बार के विधायक व मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ मोर्चा खोला है. उन्होंने राज्यपाल से शिकायत की है कि सीएम येदियुरप्पा ने कई नियमों का उल्लंघन किया है. ईश्वरप्पा ने कहा है कि येदियुरप्पा ने उन्हें बताए बिना ही उनके विभाग से जुड़े 774 करोड़ रुपए का आबंटन कर दिया, बजट में बेंगलुरु के लिए 65 करोड़ रुपए आबंटित कर दिए गए और दूसरे 30 जिलों की उपेक्षा की गई. ऐसा ही चलता रहा कि तो पता नहीं मंत्री के रूप में मैं क्या करूंगा.
ईश्वरप्पा और येदियुरप्पा कर्नाटक के एक ही जिले शिमोगा से आते हैं और दोनों ही नेताओं ने एक साथ राजनीतिक सफर शुरू किया था. ऐसे में दोनों ही नेता एक दूसरे के काफी करीबी माने जाते हैं, लेकिन अब ईश्वरप्पा ने सीएम के खिलाफ बतावती तेवर अपना लिया है. वो विधानसभा से लेकर विधान परिषद तक के सदस्य रह चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने 2012 से 2013 के बीच जगदीश शेट्टार सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. मौजूदा समय में येदियुरप्पा कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री हैं.
मंत्री केएस ईश्वरप्पा कर्नाटक के शक्तिशाली कुरुबा समुदाय से आते हैं और बीजेपी के बड़े नेताओं में उनका नाम शुमार होता है. कर्नाटक की राजनीति में खास मुकाम बनाने वाले ईश्वरप्पा का बचपन कष्टकारी रहा था, वह अपने पिता के साथ दिहाड़ी मजदूरी किया करते थे, लेकिन मां के विरोध के बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाया. पढ़ाई के दौरान ही वह आरएसएस से जुड़ गए. बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से भी जुड़े.
ईश्वरप्पा के अथक संघर्षों के दम पर ही बीजेपी ने 1983 में शिमोगा में पहली बार जीत का स्वाद चखा. 1989 में उन्हें बीजेपी की ओर से शिमोगा में उतारा गया और उस समय के स्वास्थ्य मंत्री को कड़े मुकाबले में 1,304 मतों के अंतर से हराकर वह विधानसभा पहुंचे थे. इस जीत से उन्हें राजनीतिक पहचान मिली और बाद में वह इस सीट से कुल पांच बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि, इस दौरान उन्हें 1999 में हार का सामना भी करना पड़ा. 1992 में वह बीजेपी कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी संभाली.
वे पहली बार 2006-07 में कर्नाटक में जेडीएस और बीजेपी की साझा सरकार में मंत्री बने. फिर 2008 में राज्य में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद बीएस येदियुरप्पा की सरकार में बिजली मंत्री बने. इसके बाद सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार की बीजेपी सरकार में उपमुख्यमंत्री पद पर रहे. हालांकि 2013 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. एक बार फिर 2018 में वह शिमोगा से जीतकर पांचवीं बार विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. यही वजह है कि रही कि 2019 में कांग्रेस-जेडीएस सरकार के गिरने के बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई तो उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया.