भारत समेत कई देशों में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन तेजी से फैल रहे हैं। इनके बारे में जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। इस बीच हाल ही में हुए एक अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोरोना वायरस का N440K वैरिएंट ठीक हो चुके कोरोना मरीजों में दोबारा संक्रमण का कारण बन सकता है। इस शोध में आंध्र प्रदेश स्थित कुरनूल मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ता शामिल थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह वैरिएंट इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा तंत्र) से बच सकता है और कोविड-19 से उबर चुके मरीजों को फिर से संक्रमित कर सकता है।
शोधकर्ताओं ने कुरनूल में कोरोना संक्रमण के एक मामले का अध्ययन किया। उनका मानना है कि भारत में N440K वैरिएंट के कारण दोबारा संक्रमण का यह दूसरा मामला है। इसे वैरिएंट को कोरोना के सबसे खतरनाक स्ट्रेन में से एक माना जा रहा है। इस शोध को प्री-प्रिंट रिसर्च सर्वर ओएसएफ में प्रकाशित किया गया है।
इससे पहले, हैदराबाद के सीसीएमबी और अपोलो अस्पताल के शोधकर्ताओं ने कुरनूल में कोविड-19 के दो मामले दर्ज किए थे, लेकिन वो N440K वैरिएंट से संबंधित नहीं थे। हालांकि वैज्ञानिकों ने कहा था कि उनके काम से पता चला है कि स्पाइक प्रोटीन में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के कारण कोविड-19 दोबारा संक्रमण का कारण बन सकता है।
कुरनूल मेडिकल कॉलेज, दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी और गाजियाबाद की एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान पाया है कि आंध्र प्रदेश में कोरोना के N440K वैरिएंट का प्रसार 33 फीसदी से अधिक है।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के मुताबिक, देश में अब तक 180 से भी ज्यादा लोग ब्रिटेन में मिले कोरोना के नए स्ट्रेन से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि छह मरीजों के दक्षिण अफ्रीका वाले स्ट्रेन से संक्रमित होने का पता चला है। एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, केरल और तेलंगाना में कोरोना के N440K और E484K वैरिएंट्स पाए गए हैं। हालांकि साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र और केरल में संक्रमण के मामले कैसे बढ़ रहे हैं, इसके बारे में अभी पुख्ता जानकारी नहीं है।