केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों को बचाने के लिए बनाए गए बाल संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) 2012 के तहत तीन सालों में 11 हजार से ज्यादा आरोपी दोषी सिद्ध हुए हैं. ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए सभी राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट भी बनाए गए हैं. दरअसल, NCP के सांसद डॉ. फौजिया खान ने गुरुवार को राज्यसभा में बाल संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत राज्यों में दोषी मिले अपराधियों की संख्या और इसके लिए बने स्पेशल कोर्ट के बारे में जानकारी मांगी थी.
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सवाल का लिखित जवाब देते हुए साल 2014 से 2016 के बीच दोषी ठहराए गए अपराधियों के राज्यवार आंकड़े भी दिए. हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने साल 2014 से 2016 तक के ही आंकड़े उपलब्ध कराए हैं. स्मृति ईरानी ने अपने लिखित जवाब में कहा कि साल 2014 में 2686, साल 2015 में 4567 और साल 2016 में 3859 आरोपी पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए हैं. इस तरह कोर्ट ने तीन सालों में 11,112 आरोपियों को दोषी ठहराया.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि रेप और पॉक्सो अधिनियम (Pocso Act) से जुड़े मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए 389 विशेष पॉक्सो न्यायालय सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (Special Courts) की स्थापना के लिए 28 राज्यों को 2019-20 में 140 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 89.89 करोड़ रुपये की राशि बांटी गई है. दिसंबर, 2020 तक 331 विशेष पॉक्सो कोर्ट सहित 609 फास्ट ट्रैक कोर्ट चल रहे हैं.
पॉक्सो एक्ट के सबसे ज्यादा अपराधी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मिले हैं. मिसाल के तौर पर, मध्य प्रदेश में साल 2014 में 848, 2015 में 944 और 2016 में 792 आरोपी दोषी मिले. उत्तर प्रदेश में साल 2014 में 410, 2015 में 1241 और 2016 में 1003 लोग दोषी मिले. बता दें कि साल 2012 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के लिए पॉक्सो एक्ट बनाया गया था, जिसके तहत नाबालिग बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.