राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसा के हथियार से अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ी थी। वही अहिंसा अब किसानों का हथियार बन गई है। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर किसानों ने अनशन कर पूरे देश में सद्भावना दिवस मनाया और आंदोलन के शांतिपूर्ण समाधान निकलने की प्रार्थना की।

किसानों का मानना है कि अहिंसा ही आंदोलन को चलाने का सबसे कारगर हथियार है और बातचीत ही समाधान निकालने के लिए सर्वोतम तरीका है। वे अब भी सरकार से बातचीत के न्योते का इंतजार कर रहे हैं।
ऑल इंडिया किसान सभा के नेता हन्नन मौला ने मीडिया से कहा कि पूरे देश में सद्भावना दिवस बेहद शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा रहा है। इसके जरिए वे सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि महात्मा गांधी के मंत्र अहिंसा और बातचीत ही हमारे पास सबसे बेहतर विकल्प हैं और इनके जरिए ही वर्तमान गतिरोध को खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार को समझना चाहिए कि अगर गांधी के स्वराज की बात को सच्चाई बनानी है तो इसके लिए किसानों, ग्रामीणों को ताकत देनी होगी। इसके बिना गांधी की ग्राम स्वराज की बात अधूरी रह जाएगी।
किसान नेता रविंदर सिंह चीमा ने कहा कि 26 जनवरी को लाल किला पर जो हिंसात्मक घटना घटी थी, उससे बेहद गलत संदेश गया है। हिंसा के पीछे किसानों के पवित्र आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गई थी। आज सद्भावना दिवस के जरिए किसान यही संदेश देना चाहते हैं कि इस तरह की हिंसा में किसानों का कोई विश्वास नहीं है। वे सरकार को भी संदेश देना चाहते हैं कि वह बातचीत का उचित रास्ता अपनाकर इस आंदोलन को समाप्त करने का रास्ता तैयार करे।
किसान आंदोलन के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे यूपी गेट पर भी किसान नेताओं ने अनशन का आयोजन किया है। भारतीय किसान यूनियन शामली के नेता जोगेंदर सिंह ने कहा कि शनिवार तक दस हजार से ज्यादा नए किसान गाजीपुर यूपी बॉर्डर पर जमा हो चुके हैं। हमारे सामने महात्मा गांधी का आदर्श है और हम बेहद शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के सामने अपनी बात रख रहे हैं। अगर सरकार समझती है कि हम आतंकी और देशद्रोही हैं तो वह हम पर गोली चलाने के लिए स्वतंत्र है। हम उसका भी स्वागत करने को तैयार हैं लेकिन कानून वापसी के बिना किसान यहां से नहीं जाएंगे।
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