उत्तर प्रदेश में मिशन 2022 में जुटी भारतीय जनता पार्टी को बीते दिन एक नया साथी मिला है. केंद्र सरकार के MSME विभाग में कार्यरत IAS एके शर्मा ने पहले रिटायरमेंट लिया, फिर 96 घंटे के भीतर ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. एके शर्मा को मोदी मैन के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पिछले करीब 18 साल से वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम का हिस्सा रहे हैं. ऐसे में अब जब उन्हें भाजपा में लाया गया है, तो इसके क्या मायने हैं एक नज़र डालिए…
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में पैदा हुए एके शर्मा की कर्मभूमि गुजरात ही रही है. ऐसे में अब सूत्रों की मानें, तो तब से अबतक का पीएम मोदी का भरोसा ही है कि उन्हें यूपी में भेजा गया है ताकि बीजेपी के मिशन 2022 को रफ्तार दी जा सके. बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, जिसमें इस फैसले पर मुहर लग गई. चर्चा है कि एके शर्मा को योगी कैबिनेट में कोई अहम पद मिल सकता है.
बीजेपी में शामिल होने के बाद एके शर्मा ने बीते दिन कहा, ‘उन्हें काफी खुशी है, देश में कई राजनीतिक दल हैं. लेकिन जैसा पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी काम कर रही है वो शानदार है’. दिल्ली के दरबार से सीधे यूपी आना कोई आसान नहीं है, यही कारण है कि अटकलें लगाई जा रही हैं कि एके शर्मा को यूपी कैबिनेट का कोई अहम पद या फिर सीधे डिप्टी सीएम पद मिल सकता है.
माना जा रहा है कि यूपी की जाति राजनीति को साधने के लिए एके शर्मा को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. 2017 में सरकार बनने के बाद केशव मौर्या (पिछड़ी जाति) और दिनेश शर्मा (ब्राह्मण) को डिप्टी सीएम बनाया गया, ताकि समीकरण साधा जा सके. अब एके शर्मा को लेकर भी यही कयास हैं, हालांकि क्योंकि एके शर्मा का बैकग्राउंड अफसरशाही का है ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम मोदी के खास होने के नाते उन्हें यूपी की विशेष जिम्मेदारी दी गई है.
कुछ भाजपा नेताओं का मानना है कि एके शर्मा के आने से राज्य में चल रही योजनाओं की रफ्तार बढ़ सकती है, क्योंकि सीधे पीएमओ का व्यक्ति यहां पर होगा. कई सवाल उनके तुरंत VRS लेते ही राजनीतिक पार्टी से जुड़ने को लेकर भी उठ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में पैदा हुए एके शर्मा ने यूपी से ही पढ़ाई लिखाई की. 1988 में वो सिविल सर्विस से जुड़े,IAS बने और गुजरात में पोस्टिंग हो गई. 1995 में उन्होंने मेहसाणा की कमान संभाली, जिसके बाद वो लगातार आगे बढ़ते गए.
हालांकि, 2001 में जब नरेंद्र मोदी को गुजरात की कमान मिली तब उनकी नजर में एके शर्मा आए. पहले उन्हें सरदार सरोवर के प्रोजेक्ट से जोड़ा गया, फिर वो सीएमओ आ गए. कच्छ में आए भूकंप के बाद उसे संवारने का जिम्मा भी एके शर्मा को मिला, इसके अलावा गुजरात के आर्थिक मामले जैसे वाइब्रेंट गुजरात के जरिए इन्वेस्ट लाने पर भी एके शर्मा ने जोर दिया.
यही कारण रहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एके शर्मा का भरोसा बढ़ता चला गया. जब नरेंद्र मोदी गुजरात से दिल्ली आए, तो एके शर्मा को भी यहां बुला लिया गया. एके शर्मा दिल्ली में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट में लगे, जिसमें करीब सौ लाख करोड़ के निवेश का टारगेट है. हाल ही में एके शर्मा की अगुवाई में छोटे कारोबारियों के लिए प्रोजेक्ट, आत्मनिर्भर भारत की सफलता जैसे टारगेट को पूरा करने की कोशिशें की जा रही थीं.