कोरोना वायरस का नया वैरिएंट अत्यधिक तेजी से प्रजनन कर रहा है. इसके प्रजनन की गति वैज्ञानिकों की उम्मीद से कहीं ज्यादा है. इसी वजह से ये पुराने कोरोना वायरस की तुलना में ज्यादा संक्रामक है. ब्रिटेन में हुई एक नई स्टडी के मुताबिक ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन यानी वैरिएंट में पिछले वायरस से बहुत ज्यादा अंतर है. आइए जानते हैं कि नया कोरोना वायरस पुराने वाले से कितना ज्यादा संक्रामक है.
लंदन इंपीरियल कॉलेज के प्रोफेसर एक्सेल गैंडी ने बताया कि ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के प्रजनन (Reproduction) की गति 1.1 से 1.3 के बीच है. जबकि, साइंटिस्ट इसके प्रजनन की गति को 0.6 से 1.0 के नीचे रहने की उम्मीद कर रहे थे. जबकि, ऐसा नहीं हुआ. प्रो. एलेक्स ने बताया कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अब तक वायरस में हुआ यह सबसे खतरनाक बदलाव है. इसी वजह से यह इतनी तेजी से फैल रहा है.
बीबीसी को प्रो. एलेक्स ने बताया कि वैज्ञानिक प्रजनन (Reproduction) को R Number भी कहते हैं. इंपीरियल कॉलेज की स्टडी में खुलासा हुआ है कि नवंबर में इंग्लैंड में नया कोरोना वायरस तीन गुना तेजी से फैला, जबकि पुराना कोरोना वायरस एक तिहाई से कम हुआ है. यानी अब यूरोपीय देशों में नए कोरोना वायरस की वजह से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं.
हाल ही में इंग्लैंड में कोरोना की दूसरी लहर जब आई तब पिछली लहर से ज्यादा संक्रमण देखने को मिला. नए कोरोना वायरस ने पिछले कोरोना वायरस की जगह ले ली है. अब नए कोरोना वायरस से संक्रमित ज्यादा लोग दिख रहे हैं. पिछले गुरुवार को तो एक दिन में सबसे ज्यादा मरीज नए कोरोना वायरस के सामने आए थे.
प्राइमरी स्टडी में ये बात सामने आई थी कि नया कोरोना वायरस यानी कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन 20 साल से कम उम्र के लोगों को अपने संक्रमण का शिकार ज्यादा बना रहा है. इसमें से ज्यादातर सेकंडरी स्कूल के स्तर के बच्चे हैं. लेकिन बाद में की गई स्टडी से मिले लेटेस्ट डेटा के अनुसार अब कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन हर उम्र के लोगों को पकड़ रहा है.
प्रो. एलेक्स बताते हैं कि जब प्राइमरी डेटा लिया गया था, तब नवंबर में स्कूल खुले थे. कम उम्र के बच्चे बाहर आ जा रहे थे. बड़े-बूढ़े घरों में बंद थे. इस वजह से 20 साल से कम उम्र के बच्चों में नए वायरस की मौजूदगी ज्यादा मिली. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रो. जिम नाईस्मिथ ने बताया कि नई स्ट्डी के अनुसार अब दुनिया को ज्यादा कड़े प्रतिबंध लगाने पड़ेंगे.
इंपीरियल कॉलेज का डेटा बताता है कि निकट भविष्य में भी नए कोरोना वायरस का R Number 1 से कम नहीं होगा. अगर हमने इससे बचने के लिए ज्यादा सख्त प्रतिबंध और नियम कायदे नहीं बनाए तो यह पिछले कोरोना वायरस की तुलना में कई गुना ज्यादा तेजी से फैलेगा. हमें अस्पतालों में नए कोरोना वायरस के ज्यादा केस दिखाई देंगे.
वॉरविक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लॉरेंस यंग ने बताया कि शुरुआती स्टडी में ये बात सामने आई थी कि जो वैक्सीन बनाई जा रही है, वो नए कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी होगी. नया वायरस अपने होस्ट में रहकर यानी इंसानी शरीर के अंदर ही खुद को बदल रहा है, ऐसे में पुराने कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन भी इस पर ज्यादा प्रभावी नहीं होगी. क्योंकि इसमें म्यूटेशन की दर बहुत ज्यादा है.
प्रो. लॉरेंस यंग ने बताया कि पुराने कोरोना के लिए बनाई गई वैक्सीन हो सकता है नए कोरोना वायरस पर थोड़ा असर करे. आशंका ये है कि कहीं नया कोरोना वायरस दुनिया में अभी बन रही वैक्सीन्स से लड़कर और ज्यादा खतरनाक या संक्रामक न हो जाए. हो सकता है कि वह वर्तमान वैक्सीन्स के खिलाफ खुद ही एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ले. इंग्लैंड के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने इसीलिए इस नए वायरस को वैरिएंट ऑफ कंसर्न 202012/01 (Variant of Concern 202012/01 या VOC) नाम दिया है.