वर्किंग ऑवर्स के बारे में साफ-साफ होगा उल्लेख : मोदी सरकार श्रम कानून में बड़ा बदलाव करने पर विचार कर रही है

विस्ट्रान की फैक्ट्री में ओवरटाइम काम कराने के मामले पर हुई तोड़ फोड़ के बाद मामंला इतना बढ़ गया है कि अब सरकार श्रम कानून में बदलाव करने पर विचार कर रही है. इसके अलावा बीते कुछ समय में इस कानून को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है कि श्रम कानून के तहत एक दिन में 8 घंटे काम करना होगा या 12 घंटे. सरकार जल्दी ही इस स्थिति को स्पष्ट करने जा रही है. अखबार में छपी खबर के मुताबिक सरकारी अधिकारियो के मुताबिक डेली वर्क ऑवर्स को 8 घंटे रखा जाएगा और उसके बाद ओवरटाइम शुरू होगा. ओवरटाइम में वेतन रेग्युलर डेली पे से दोगुना है.

विस्ट्रॉन की घटना के बाद सरकार चाहती है कि नए लेबर कानूनों में वर्किंग ऑवर्स के बारे में साफ-साफ उल्लेख होना चाहिए ताकि किसी तरह का कोई भ्रम न हो. माना जा रहा है कि प्रस्ताव पास होने के बाद नए  नियम 1 अप्रैल से लागू हो सकते हैं.

श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक सेफ्टी मेजर्स और हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड के मसौदा नियमों के तहत 8 घंटे के काम का प्रावधान रखा है. इसके तहत लेबर से आप हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे ही काम करा सकते है. मौजूदा दौर में फैक्टरीज एक्ट के तहत नौ से दस घंटे के बाद ओवरटाइम दिया जाता है.

दरअसल फैक्टरीज एक्ट के तहत कंपनियां अपने लेबर से 9 घंटे से 12 घंटे तक काम कराती है. लेकिन इसे ओवरटाइम नहीं माना जाता है. मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई लेबर अपने काम के घंटों के बाद 30 मिनट से कम का समय ज्यादा देता है तो उसे ओवरटाइम नहीं माना जाता है. श्रम मंत्रालय के ड्राफ्ट रूल्स के मुताबिक अब 15 मिनट से 30 मिनट का समय आधे घंटे के ओवरटाइम माना जाएगा. यानि अपने काम के घंटे खत्म होने के बाद अगर आप 15 मिनट भी अधिक समय देते हैं तो आपको 30 मिनट का ओवरटाइम दिया जाएगा.

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