दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना के बढ़ते जमावड़े और हांगकांग में हिंसात्मक रवैये को ध्यान में रखते हुए ताइवान आत्मरक्षा के लिए परमाणु बम बनाने का फैसला ले सकता है. 2 साल पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि ताइवान अगर शांति के साथ नहीं जुड़ा तो चीन को बल का प्रयोग करना पड़ सकता है.
चीन के इसी खतरे से निपटने के लिए ताइवान आत्मरक्षा की ओर ज्यादा जोर दे रहा है. हांगकांग पर चीन की ओर से आक्रामक कार्रवाई ने मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी की धज्जियां उड़ा दी हैं. पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे हांगकांग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इशारे पर लगातार बर्बरता की जा रही है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान अगर परमाणु बम बनाने में सफल हो जाता है तो चीन के लिए यह सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा. ताइवान हमले में कई चीनी शहरों को तबाह कर सकता है. 1970 के दशक में ताइवान ने अपने परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम पैदा किया था. अमेरिका के दबाव में वर्ष 1976 में ताइवान ने अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को छोड़ दिया था लेकिन खुफिया तरीके से वर्ष 1980 के दशक तक यह जारी रहा.
1980 के दशक में ताइवान ने न्यूक्लियर रिएक्शन में सफलता हासिल कर ली थी इसलिए इसे परमाणु ताकत हासिल करने में समय नहीं लगेगा. ताइवान में पहले से ही दो परमाणु प्लांट मौजूद हैं जो प्लूटोनियम पैदा कर सकते हैं.