सामुदायिक अपशिष्ट जल से कोरोना वायरस के फैलाव का खतरा: शोध में खुलासा

सामुदायिक अपशिष्ट जल से कोरोना वायरस के फैलाव का खतरा: शोध में खुलासा

नई दिल्ली। स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन (एसडीसी)की ओर से चेन्नई सिटी में सामुदायिक अपशिष्ट जल ( वेस्ट वाटर ) से कोविड-19 के फैलाव के खतरे को देखते शोध किया गया। एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीईआरआई), म्यू गामा कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (एमजीसी), एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एसआरएमआईएसटी) के वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और नीति वैज्ञानिकों के एक संघ द्वारा यह इंडो-स्विस अध्ययन का आयोजित किया गया

अध्ययन में चेन्नई में विभिन्न कैचमेंट के सामुदायिक अपशिष्ट जल में सार्स-कोव-2 की उपस्थिति का विश्लेषण किया गया। शुरुआती लॉकडाउन और लॉकडाउन के बाद की अवधि के दौरान चेन्नई सिटी, एसआरएम परिसर और चेन्नई मेट्रो क्षेत्र के एसटीपी में कुल 156 नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिसमें से 48% सकारात्मक पाए गए।

अध्ययन में पाया गया कि सामुदायिक अपशिष्ट जल के कारण एक समुदाय के भीतर कोविड-19 के फैलाव और हॉटस्पॉट की उपस्थिति का प्रारंभिक संकेत है। अपशिष्ट जल के लिए अतरिक्त व्यवस्था करने की जरुरत है। ताकि समय रहते इस महामारी के फैलाव को रोका जा सके। विभिन्न अस्पतालों और जगहों से निकले अपशिष्ट जल ( वेस्ट वाटर ) नालियों के माध्यम से नदियों में जाते है जिससे कई प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो सकती है।

इस अध्ययन के निष्कर्षों पर चर्चा के लिए 11 दिसंबर को एक वेबिनार का आयोजन हुआ। म्यू गामा कंसल्टेंट्स के डॉ. गिरिजा भरत ने कहा कि अपशिष्ट जल सार्स-कोव-2 की उपस्थिति के लिए एक अच्छा संकेतक के रूप में उभरा है जैसा कि दुनिया भर में कई शोध अध्ययनों द्वारा पुष्टि की गई है। उसी के आधार पर हमने चेन्नई में इस अध्ययन का संचालन करने के लिए निर्धारित किया, जिसने पुष्टि की कि सामुदायिक अपशिष्ट जल में सार्स-कोव-2 वायरस की उपस्थिति का स्तर सीधे समुदाय में कोविड-19 के प्रसार से संबंधित है।

एसआरएम साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रो. पारोमिता चक्रवर्ती ने अध्ययन और अपशिष्ट जल के जांच के फायदों पर प्रकाश डाला, सार्स-कोव-2 आरएनए (आरटी-पीसीआर तकनीकों का उपयोग करके) का पता चला कि जो अपशिष्ट जल के बीच काम करते या रहते है उनमें कोरोना के संक्रमण का संकेत साफ दिखने लगता है।

इस दौरान प्रसिद्ध नीति निर्माता डॉ एस के सरकार, विशिष्ट साथी, टीईआरआई (पूर्व सचिव, जल संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार); डॉ. सलोनी गोयल, विशेषज्ञ, एनआईटीआईयोग, और जयशंकर, कार्यकारी अभियंता, सीएमडब्ल्यूएसएसबी, नई दिल्ली में आयोजित वेबिनार का हिस्सा रहे और अध्ययन के नीतिगत निहितार्थ पर विचार-विमर्श किया। 

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