वाद-संवाद संसद के भीतर हो या संसद के बाहर इससे राष्ट्रसेवा का संकल्प झलकना चाहिए : PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नए संसद भवन की आधारशिला रखी। सर्वधर्म प्रार्थना के बाद संसद भवन की नींव रखी गई। कार्यक्रम में कई लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्रियों सहित उद्योगपति रतन टाटा और कई विदेशी राजदूतों ने हिस्सा लिया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने देशवासियों को संबोधित किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में अब भारतीयता के विचारों के साथ नई संसद बनने जा रही है, हम देशवासी मिलकर संसद के नए भवन को बनाएंगे।

उन्होंने कहा कि मैं वो दिन कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में मैं पहली बार सांसद के तौर पर संसद भवन पहुंचा था। मैंने लोकतंत्र के इस मंदिर को सिर झुकाकर प्रणाम किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में लोकतंत्र एक संस्कार है।

भारत के लिए लोकतंत्र जीवन मूल्य है, जीवन पद्धति है, राष्ट्र जीवन की आत्मा है। उन्होंने कहा कि विडंबना देखिए आज भारत का लोकतंत्र हमें पश्चिमी देशों से समझाया जाता है।

जब हम विश्वास के साथ अपने लोकतांत्रिक इतिहास का गौरवगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया भी कहेगी- भारत लोकतंत्र की जननी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाद-संवाद संसद के भीतर हो या संसद के बाहर इससे राष्ट्रसेवा का संकल्प झलकना चाहिए। उन्होंने देशवासियों से ये प्रण लेने को कहा कि हमारे लिए देशहित से बड़ा और कोई हित कभी नहीं होगा।

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