नई दिल्ली। नॉवेल कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहे भारत समेत दुनिया के तमाम देश इससे बचाव के लिए वैक्सीन की डील कर रहे हैं। कई देशों में तो वैक्सीन की खेप पहुंच भी चुकी है और इस माह के अंत तक लोगों को मिलनी भी शुरू हो जाएगी। इस क्रम में भारत ने भी 160 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है। इसके साथ ही वैक्सीन के लिए सबसे अधिक ऑर्डर देने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से हुई है भारत की डील-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा, ‘करीब 8 वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है जिनके निर्माण के लिए भारत में आश्वासन दिया जा चुका है। भारत के 3 वैक्सीन विभिन्न स्टेज में हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन अधिक दूर नहीं है।’ पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट में वैक्सीन की टेस्टिंग कराने वाले ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका के साथ भारत ने डील की है और सबसे अधिक वैक्सीन के डोज यहीं से मिलने वाले हैं। डील के तहत एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 50 करोड़ डोज भारत को मिलने वाली है। बता दें कि अमेरिका की ओर से भी एस्ट्राजेनेका के साथ इतने ही डोज की बुकिंग की गई है। भारत और अमेरिका के अलावा कई अन्य यूरोपीय देशों की ओर से भी ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के लिए करीब 40 करोड़ ऑर्डर आए हैं।
नोवावैक्स वैक्सीन-
नोवावैक्स ने भी कोविड-19 वैक्सीन विकसित की है। इसके साथ हुई डील के तहत भारत ने एक बिलियन डोज का ऑर्डर दिया है।
स्पूतनिक V वैक्सीन-
भारत ने रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V के 10 करोड़ डोज के लिए डील की है। बता दें कि इस वैक्सीन का अंतिम ट्रायल भारत में जारी है। हैदराबाद की डॉ रेड्डी के साथ ट्रायल के लिए स्पूतिनक V ने समझौता किया है। 11 अगस्त को रूस ने इस वैक्सीन को विकसित करने का दावा किया था, लेकिन अब तक भारत के अलावा किसी भी देश ने इसके लिए ऑर्डर नहीं दिए हैं। रूस की गामालेया इंस्टीट्यूट ने स्पूतनिक V वैक्सीन को विकसित किया है।
इसके अलावा वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनियां सनोफी-जीएसके, फाइजर-बायोएनटेक और मॉडर्ना को भारत ने अब तक कोई ऑर्डर नहीं दिया है। वैक्सीन की सप्लाई से पहले कंपनियों की वैक्सीन को वैश्विक स्तर पर मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद ही इसकी सप्लाई की जाएगी।