किसानों के समर्थन में बोली मायावती, कृषि कानूनों पर केंद्र करे पुनर्विचार

किसानों के समर्थन में बोली मायावती, कृषि कानूनों पर केंद्र करे पुनर्विचार

नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर मायावती ने रविवार को ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आंदोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केंद्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।
 
केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से सम्बन्धित हाल में लागू किए गए तीन कानूनों को लेकर अपनी असहमति जताते हुए पूरे देश में किसान काफी आक्रोशित व आन्दोलित भी हैं। इसके मद्देनजर, किसानों की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार अगर पुनर्विचार कर ले तो बेहतर।

सिंघु बॉर्डर से छह किमी तक जमे 35 हजार से ज्यादा किसान-

कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले 33 घंटे से नेशनल हाईवे 44 पर डटे हुए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए कंटीले तार और पत्थर हटाने के बाद भी किसान दिल्ली जाने  के लिए  तैयार नहीं हैं। इससे सिंघु बॉर्डर से हरियाणा की ओर 6 किमी तक करीब 35 हजार किसानों का पड़ाव हो गया है।

किसानों ने शनिवार को विरोध में केंद्र सरकार का पुतला फूंका और एकजुट होकर आंदोलन जारी रखने का आह्वान किया। पंजाबी गायब बब्बू मान और क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज भी सिंघु बॉर्डर पहुंचे।

सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार शाम तक जहां करीब दो हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य वाहनों में 25 हजार किसान पहुंचे थे, वहीं उसके बाद भी लगातार किसान अपने वाहनों में पहुंच रहे हैं। शनिवार शाम तक करीब 35 हजार किसान पहुंच गए। अब हरियाणा व यूपी के किसान भी पहुंचने शुरू हो गए है। उधर, एनएच 44 पर खाद्य सामग्री व अन्य जरूरी सामान लेकर जाने वाले ट्रक भी फंसे हुए हैं। वहीं, हाईवे जाम होने से आम लोग भी फंसे होने से परेशानी झेल रहे हैं।  

किसानों के समर्थन में पहुंचे बब्बू मान ने कहा कि मैं भी किसान का बेटा हूं और इसलिए किसानों के बीच आया हूं। उन्होंने कहा, मैं  हमेशा किसानों के साथ खड़ा हूं और किसानों को भी एकजुट रहना चाहिए। पंजाब से नहीं आने वाले किसानों को भी यहां जरूर आना चाहिए और आंदोलन को सफल बनाना चाहिए।

वहीं, योगराज सिंह ने कहा कि पंजाब का किसान अनपढ़ नहीं है, जो किसी के बहकावे में आ जाए। सरकार को बातचीत के लिए किसानों के पास आना चाहिए। सरकार तीनों कृषि कानूनों  को रद्द नहीं करती है तो उएमएसपी का कानून भी बनाना चाहिए। 

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