काशी विश्वनाथ धाम अब चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजने लगा, दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालुओं के लिए यह किसी चमत्कार जैसा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर या काशी विश्वनाथ धाम अब चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजने लगा है. इसी के साथ अब इसका स्वरूप भी प्रदक्षिणा या परिक्रमा पथ के रूप में निखरकर सामने दिखने लगा है. तराशे गए करीब 65 हजार क्यूबिक फीट गुलाबी पत्थरों की पहली खेप पहुंचने के बाद काम अब तेजी से बढ़ रहा है. 

पत्थरों की दूसरी खेप भी आने लगी है और काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य पूरा होने की ओर बढ़ रहा है. गुलाबी पत्थरों से मंदिर का प्रदक्षिणा पथ तैयार हो रहा है जिसके चलते मां गंगा और काशी विश्वनाथ मंदिर की दूरी भी कम हो रही है. देव दिवाली के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भ्रमण कर सकते हैं.
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम अगस्त 2021 में पूरा होना है और यह प्रोजेक्ट काफी तेज गति से आगे बढ़ रहा है. 55 हजार स्क्वायर मीटर में बन रहे इस कॉरिडोर का भव्य स्वरूप अब दिखने लगा है. 

गंगा नदी को छूते मणिकर्णिका घाट, जलासेन घाट और ललिता घाट से लगा कॉरिडोर का मुख्य द्वार होगा और धीरे-धीरे जब आप भीतर की तरफ जाएंगे तो इसकी भव्यता और बढ़ती जाएगी. पूरे रास्ते में पुराने मंदिरों की वह श्रृंखला मिलेगी जो कॉरिडोर बनाते वक्त मंदिर से निकले थे. कॉरिडोर के भीतर इन्हें सहेज कर रखा गया है.

प्रदक्षिणा पथ और परिक्रमा पथ पर गुलाबी पत्थरों के तराशे हुए मेहराब दिखाई देने लगे हैं. प्रदक्षिणा पथ काशी विश्वनाथ मंदिर का वह भाग होगा जहां से भक्त और श्रद्धालु सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन को जाएंगे. मकराना और मिर्जापुर के गुलाबी पत्थरों का यह स्वरूप काशी कॉरिडोर के भीतर अभी से ही ध्यान खींचने लगा है.

मुख्य प्रवेश द्वार का भव्य गेट भी आकार ले रहा है. ये वह जगह होगी जहां से श्रद्धालु सीधे बाबा विश्वनाथ के शिखर का दर्शन कर सकेंगे. गंगा घाट से श्रद्धालु जैसे ही मंदिर के बड़े प्रवेश द्वार में घुस आएंगे वैसे ही उन्हें सबसे पहले मंदिर का शिखर नजर आएगा.

इस कॉरिडोर को बना रही कंपनी के साइट इंजीनियर नीरव के मुताबिक कॉरिडोर का काम बहुत तेजी से चल रहा है. 55000 घनफुट तराशे हुए लाल पत्थर यहां लाए जा चुके हैं. गुजरात और राजस्थान में इन्हें तराशा गया है और नक्शे के मुताबिक इन्हें खांचों में फिट करके मंदिर को स्वरूप दिया जा रहा है.

इस प्रोजेक्ट के तहत मंदिर परिसर, मंदिर चौक, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, मुमुक्षु भवन अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. मंदिर चौक का हिस्सा सी शेप में निर्मित किया जाएगा. यहां से सीधे मां गंगा के दर्शन किए जा सकेंगे. 

मंदिर के प्रदक्षिणा मार्ग को चुनार और ओडिशा के बालेश्वर से आए गुलाबी पत्थरों के द्वारा पूरा किया जा रहा है. काशी विश्वनाथ धाम को चुनार का बलुआ पत्थर, मकराना का मार्बल, ओडिशा के बालेश्वर का गुलाबी पत्थर, कोटा स्टोन के साथ तीन तरह के ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग फ्लोरिंग और सीढ़ियों पर हो रहा है.

काशी विश्वनाथ धाम के किनारे खड़ी की गईं टीन की ऊंची दीवारों के अंदर भारी सुरक्षा के बीच कारीगर, इंजीनियर और मजदूर 5.3 लाख वर्गफुट में धाम को आकार देने में लगे हैं. परिसर से लेकर गंगा घाट तक 24 इमारतें बनाई जाएंगी. इसमें से 19 इमारतों पर काम चल रहा है.

दर्शन करने पहुंच रहे श्रद्धालुओं के लिए यह किसी चमत्कार जैसा है. श्रद्धालु इस नए कॉरिडोर के नए लुक से बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं. कॉरिडोर के भीतर गुलाबी पत्थरों की आभा अब दर्शनार्थियों को भी नजर आने लगी है. नक्काशीदार पत्थरों की खूबसूरती भी उभरकर सामने आ रही है.

काशी विश्वनाथ धाम में 650 मजदूर दो शिफ्टों में लगातार काम कर रहे हैं. 345.27 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त 2021 तक निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. 

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डाॅ सुनील वर्मा ने बताया कि पत्थरों के लगने का काम तेजी से हो रहा है. जितने भी भवन बनने थे, उनका काम ग्राउंड से भी ऊपर आ चुका है. इसलिए धाम का स्वरूप भी दिखने लगा है. गुलाबी पत्थरों के लगने के सवाल पर उन्होंने बताया कि कई तरह के पत्थर लगने हैं जिसमें चुनार के पत्थरों का काम तेजी से चल रहा है.

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