सीबीआई ने शुक्रवार को रिवर फ्रंट घोटाले में सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियन्ता रूप सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में काम पूरा नहीं हुआ और और बजट (1513 करोड़) में से 1437 करोड़ खर्च कर दिये गए। इतना बजट खर्च करने के बाद भी काम 60 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ। पहले गोमतिनगर थाने में एफआईआर हुई थी।
सरकार ने जस्टिस आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में बनी न्यायिक समिति से भी जांच कराई थी बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। बता दें कि सपा सरकार में बने रिवर फ्रंट की जांच 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद ही शुरू कर दी गई थी। मामले में इडी ने आठ में से पांच आरोपियों से पूछताछ भी की है। मामले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने प्रदेश सरकार के निर्देश पर सिंचाई विभाग ने लखनऊ के गोमती नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। जिसके बाद 30 नवंबर 2017 को नया मुकदमा दर्ज किया गया था।
भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में भी गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में किए गए घपले को उजागर किया गया था। कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि करोड़ों रुपये के ठेके मानकों का पालन किए बिना दिए गए। मनमाने ढंग से भुगतान करके राजस्व को बड़ी चपत लगाई गई। निविदा आमंत्रण के कूटरचित दस्तावेज भी लगाए गए। रिपोर्ट को विधानमंडल के दोनों सदनों में रखा गया था।
मार्च 2015 में लखनऊ में गोमती नदी पर विश्वस्तरीय रिवर फ्रंट विकसित करने के लिए 656.58 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई थी। जून 2016 में इस लागत को संशोधित करके 1513.52 करोड़ कर दिया गया।
मार्च 2017 तक काम पूरा होना था, लेकिन सितंबर 2017 तक 1447.84 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद काम अधूरा था। इस परियोजना से संबंधित कुल 662.58 करोड़ रुपये लागत की 23 निविदा आमंत्रण सूचनाओं को प्रकाशित ही नहीं करवाया गया। इससे संबंधित साक्ष्यों की कूटरचना विशिष्ट फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए की गई।
गैमन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 516.73 करोड़ रुपये के डायफ्राम वॉल के निर्माण के कार्य देने के लिए मानदंड शिथिल किए गए। इसकी पूर्व सूचना किसी भी अखबार में प्रकाशित नहीं की गई। इससे सिंचाई विभाग प्रतिस्पर्द्धी दरों को पाने में असफल रहा। अपात्र होने के बावजूद गैमन इंडिया को ठेका दिया गया।