राजधानी में बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के मामले बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं। मामला गंभीर होता देख गृह मंत्रालय अब स्थिति को काबू करने के लिए सामने आ चुका है। हालांकि फिलहाल सबसे बड़ी दिक्कत दिल्ली में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड की कमी बनी हुई। आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार दिल्ली में करीब 60 अस्पतालों में वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड नहीं है। सरकार का कहना है कि मरीजों के हिसाब से बेड की संख्या बढ़ाई जा रही है। दिल्ली से बाहर के कई मरीज गंभीर हालत में यहां के अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं।
दिल्ली कोरोना एप के मुताबिक कोरोना मरीजों के लिए 1328 वेंटिलेटर बेड हैं और इनमें से अधिकतर बेड भर चुके हैं। चिंता की बात यह है कि दिल्ली के 40 अस्पतालों में बेड पूरी तरह भर चुके हैं। इन अस्पतालों में लेडी हार्डिंग, दीनदयाल उपाध्याय, एलएनजेपी जैसे सरकारी अस्पतालों से लेकर अपोलो, मैक्स, सरगंगाराम जैसे बड़े निजी अस्पताल भी शामिल हैं। वेंटिलेटर बेड के अलावा 85 फीसदी आईसीयू बेड भी भर चुके हैं।
कोरोना एप के मुताबिक गुरुवार रात 12 बजे तक राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में वेंटिलेटर वाले 200 आईसीयू बेड हैं और इनमें से एक भी खाली नहीं था। वहीं एलएनजेपी अस्पताल के 200 में केवल सात बेड खाली थे। कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली के अन्य अस्पतालों की थी। इस बीच चिंता की बात यह भी है कि दिल्ली के कोविड-19 के अलावा अन्य मरीजों को समर्पित आईसीयू बेड में भी धीरे-धीरे कमी होती जा रही है।
राजधानी के अस्पतालों में दो सप्ताह में 2475 मरीज भर्ती हुए हैं। इस दौरान संक्रमण के 90 हजार मामले आए हैं। इस लिहाज से देखें तो महज तीन प्रतिशत मरीजों को ही अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत पड़ी है।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोविड अस्पतालों में अभी भी 50 फीसदी सामान्य बेड खाली हैं। सिर्फ आईसीयू और वेंटीलेटर बेड भर रहे हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि कई लोग गंभीर हालत होने पर अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। इनमें एक बड़ी संख्या दिल्ली से बाहर के मरीजों की भी है। कई प्रमुख निजी अस्पतालों में बाहर के मरीज आकर भर्ती हो रहे हैं। सरकार आईसीयू बेड की संख्या भी बढ़ा रही हैं। दो सप्ताह में एक हजार से ज्यादा बेड बढ़ाए गए हैं।