क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति समझने की जरूरत है? कौन हैं पीके : तृणमूल विधायक नियामत शेख

पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में अभी लगभग छह महीने का समय बचा है, लेकिन सभी दल अपनी—अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। भाजपा और वामदल-कांग्रेस ने इसे लेकर मंगलवार को अलग-अलग बैठकें कींं। वहीं राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने काम शुरू कर दिया है। मगर तृणमूल के असंतुष्टों ने किशोर पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं, ऐसे में टीएमसी भाजपा की चुनौती से कैसे निपट पाएगी। 

सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ विधायक प्रशांत किशोर के बारे में बातें कर रहे हैं। पिछले हफ्ते किशोर से असंतुष्ट टीएमसी नेता सुवेंदु अधिकारी के मिलने में असफल रहने के बाद ये आवाजें और जोर-शोर से उठने लगीं हैं।

टीएमसी को पता है कि भाजपा के चुनाव रणनीतिकारों का ध्यान राज्य में जीत दर्ज करने पर है, इसके बावजूद वे बेफिक्र दिखाई दे रहे हैं। तृणमूल नेता सौगत रॉय का कहना है कि अमित शाह का लक्ष्य दिन में देखा जाने वाला सपना है जो कभी पूरा नहीं होगा। रॉय पार्टी के नेताओं और विधायकों के प्रशांत किशोर से नाराज होने को लेकर भी चिंतित नहीं हैं।   

टीएमसी में प्रशांत किशोर का कितना विरोध है, यह पार्टी के विधायकों के बयानों से समझा जा सकता है। मुर्शीदाबाद जिले के तृणमूल विधायक नियामत शेख ने रविवार को एक जनसभा के दौरान कहा था कि क्या हमें प्रशांत किशोर से राजनीति समझने की जरूरत है? कौन हैं पीके? यदि बंगाल में टीएमसी को नुकसान पहुंचता है तो यह पीके की गलती होगी। 

वहीं कूचबिहार के तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी ने भी प्रशांत किशोर को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने छह हफ्ते पहले पार्टी के सभी संगठनात्मक पदों से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर मंगलवार को कई सवाल पोस्ट किए। इसमें से एक में उन्होंने पूछा कि क्या- टीएमसी अभी भी वाकई ममता बनर्जी की पार्टी है? उनका कहना है कि ऐसा लगता है कि पार्टी को किसी कॉन्ट्रैक्टर को दे दिया गया है।

उधर, भाजपा नेताओं ने राज्य को पांच जोन में विभाजित किया है। जोन इंचार्ज 18, 19 और 20 नवंबर को मुलाकात करेंगे और अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सौंपेंगे जो पार्टी के मुख्य रणनीतिकार हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमित शाह 30 नवंबर को एक बार फिर से कोलकाता का दौरा कर सकते हैं। यदि वे बंगाल आते हैं तो यह उनका एक महीने के अंदर दूसरा दौरा होगा। पिछली बार यहां आने पर शाह ने 294 विधानसभा सीटों में से 200 पर भाजपा की जीत का दावा किया था।

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