कोरोना का सीधा अटैक फेफड़ों (श्वसन तंत्र) पर ही होता है। अधिकांश संक्रमितों पर वायरस का असर नहीं दिखता, जबकि बहुत लोगों को यह मर्ज बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। मधुमेह रोगी भी ऐसे मरीज हैं।
मधुमेह रोगियों को कोरोना हुआ तो उनके फेफड़ों को शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने में खासा संघर्ष करना पड़ता है। शरीर के अन्य अंग कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित होते हैं।
फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों को कोरोना संक्रमित मधुमेह रोगियों के इलाज में ऐसे ही तथ्य मिले हैं। फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों ने पिछले डेढ़ महीने में करीब 400 मधुमेह रोगियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया। इनमें से 25 मरीज संक्रमित थे। इनमें अधिकांश मरीजों में ऑक्सीजन के स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई थी।
फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ एंड्रोक्रोनोलॉजिस्ट (मधुमेह रोग विशेषज्ञ) डॉ. राकेश प्रसाद ने बताया कि कोरोना और मधुमेह का गठजोड़ बेहद खतरनाक है। मधुमेह रोग पहले ही अपने मरीज को इम्यूनो कोम्प्रोमाईज (प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होने का एक स्वरूप) पर ले आता है।
ऐसे में दूसरी बीमारियां आसानी से जकड़ लेती हैं। अस्पताल में एक अक्तूबर से 13 नवंबर तक करीब 400 मधुमेह रोगियों का उपचार किया गया। इनमें से 25 ऐसे रहे, जो कोरोना संक्रमित थे। जब उनकी जांच की गई तो उनमें कई कॉमन समस्या देखी गई। उनमें से एक ऑक्सीजन लेवल की रही।
सामान्यत: स्वस्थ शरीर में ऑक्सीजन 97 से 100 के बीच रहती है, लेकिन मधुमेह के साथ कोरोना होने वाले रोगियों में इसमें तेजी से गिरावट हुई। अधिकांश मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 85 से 90 के बीच रहा। उन्हें ऑक्सीजन दी गई। तीन से चार मरीज की तबियत बिगड़ने पर वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ा। हालांकि निरंतर मॉनिटरिंग करने पर वह बाद में ठीक हो गए।
कोरोना संक्रमित मधुमेह रोगियों के उपचार में मरीजों के सामने कुछ और समस्याएं सामने आईं। डॉ. राकेश प्रसाद के मुताबिक, इन मरीजों का न तो बुखार कम हो रहा था। न ही दवा देने के बाद शुगर नियंत्रण में आने को तैयार था। हालांकि सघन उपचार के कुछ दिनों बाद स्थिति नियंत्रण में आई। इसके अलावा ऐसे मरीजों के किडनी, लिवर, शरीर में रक्त आपूर्ति पर भी नकारात्मक प्रभाव देखा गया।
डॉ. राकेश प्रसाद बताते हैं कि एक विदेशी अध्ययन में यह सामने आया है कि सामान्य व्यक्ति की तुलना में और मधुमेह रोगी को ढाई गुना अधिक हाइपरटेंशन होने की आशंका रहती है। मधुमेह रोगियों की किडनी, लीवर व अन्य बीमारियों की चपेट में आने की संभावना भी अधिक होती है।
स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में आने वाले गैर संचारी रोगों के मरीजों का आंकड़ा जुटाता रहता है। मधुमेह भी गैर संचारी रोग है, लिहाजा विभाग द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, जिले में यह संख्या करीब 5200 है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा बेहद कम है। यह बीमारी घर-घर पैर पसार रही है। विभाग को वृहद स्तर पर सर्वे कर आंकड़ा जुटाने की जरूरत है।
मधुमेह, हाइपरटेंशन, कैंसर आदि बीमारी से ग्रसित मरीज को सावधान रहने की जरूरत है। प्रतिरक्षण तंत्र कमजोर होने के कारण यह बीमारी इन्हें तेजी से चपेट में लेती है। कोरोना जैसे लक्षण दिखने पर यह रोगी अपनी कोविड जांच अवश्य कराएं।