अगर आप यह सोचकर डाइट कोल्डड्रिंक पीते हैं कि उसमें शक्कर नहीं मिली होने से मोटापे या टाइप-2 डायबिटीज का खतरा नहीं बढ़ेगा तो आप मुगालते हैं। ‘जर्नल पेडियाट्रिक ओबेसिटी’ में छपे एक अमेरिकी अध्ययन में डाइट सोडा को मीठे की तलब बढ़ाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक डाइट सोडा में मिठास पैदा करने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है। आर्टिफिशियल स्वीटनर मीठे को कैलोरी के सेवन से जोड़कर देखने की दिमाग की प्रवृत्ति में बदलाव लाते हैं। व्यक्ति यह सोचने लगता है कि मीठा खाने से उसकी सेहत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इस चक्कर में वह जरूरत से ज्यादा मीठे का सेवन कर लेता है, जो वजन के साथ ही ब्लड शुगर में उछाल का सबब बनता है।

हाजमे पर असर-
अध्ययन में डाइट सोडा को पाचन तंत्र के लिए भी हानिकारक करार दिया गया। शोधकर्ता समांथा कैसेटी की मानें तो इसमें मौजूद सैकरीन, सुकरालोज और स्टीविया जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर आंत में गुड व बैड बैक्टीरिया के बीच के संतुलन को बिगाड़ देते हैं। इससे व्यक्ति को अक्सर पेटदर्द, मिचली, गले में जलन या बदहजमी होने की शिकायत सता सकती है।
किडनी के लिए घातक-
कैसेटी ने 2017 में प्रकाशित अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के एक अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि डाइट सोडा किडनी की कोशिकाओं में फ्री-रैडिकल का उत्पादन बढ़ाता है। इससे किडनी खराब होने या उसमें कैंसर पनपने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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