गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर पाकिस्तान चौतरफा घिर गया है। उसका कड़ा विरोध हो रहा है। दरअसल चीन की शह से पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है। भारत ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि यह इलाका हमारा अभिन्न अंग है और इस पर किसी तरह का निर्णय लेने या इसकी वैधानिक स्थिति बदलने का अधिकार किसी अन्य देश को नहीं है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पाकिस्तान ने चीन की सलाह से गिलगित-बाल्टिस्तान में अपना दखल बढ़ाया है। चीन जानता है कि यदि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में अपना प्रभाव बढ़ता है तो इसका फायदा उसे मिलेगा।
इमरान ने की थी घोषणा-
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को गिलगित की रैली में इस इलाके को अस्थाई प्रांत का दर्जा देने की घोषणा की थी। साथ ही इस महीने के आखिर में वहां की विधानसभा के चुनाव कराने का भी एलान किया है।
1947 में भारत में हो चुका विलय-
इमरान के एलान का भारत ने कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि 1947 में जम्मू-कश्मीर के भारत संघ में वैध, पूर्ण और अटल विलय की वजह से तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान समेत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं।
चीन के शिनजियांग से सटा है इलाका-
पाकिस्तान सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पूर्ण राज्य का दर्जा देकर एक तीर से कई शिकार करना चाहती है। यह इलाका कराकोरम रेंज में हैं और चीन के उत्तर-पश्चिम के प्रांत शिनजियांग के साथ भी सटा हुआ है, जिसके कारण इस इलाके का सामरिक और वाणिज्यिक दोनों ही महत्व है। पाकिस्तान पहले से ही इस इलाके पर नजर गढ़ाए बैठा था, लेकिन अब चीन की भी दिलचस्पी बढ़ गई है। भविष्य अगर कभी भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ या युद्ध जैसी स्थिति बनी, तो पाकिस्तान को सैनिकों और साजो-सामान को तुरंत ले जाने में इस मार्ग पर सुविधा होगी क्योंकि उसके पास हर मौसम में काम करने वाली चौड़ी सड़क होगी।
ड्रैगन को यह फायदा होगा-
अगर गिलगित-बाल्टिस्तान अलग राज्य बन जाते हैं तो इससे चीन को फायदा होगा। दरअसल कराकोरम राजमार्ग से निकलकर गिलगित-बाल्टिस्तान होते हुए ही बलूचिस्तान में दाखिल हुआ जा सकता है। गिलगित-बाल्टिस्तान के अलग राज्य बन जाने से चीनी कंपनियां सीधे स्थानीय प्रशासन के संपर्क में आ जाएंगी और इससे उन्हें वहां काम करने में सुविधा होगी।