कोरोना काल में विटामिट सी का प्रयोग काफी लाभदायक है। ऐसे में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने टमाटर की एक नई प्रजाति विकसित की है, जिसमें सामान्य टमाटर की अपेक्षा विटामिन सी की मात्रा दोगुने से भी अधिक है।
चेरी टमाटर-1 नाम की यह प्रजाति खास तौर पर सलाद के लिए अधिक बेहतर मानी जा रही है। इसके पेड़ की बेलें सामान्य टमाटर की अपेक्षा काफी बड़ी और फैली होती हैं, जिसकी पैदावार 350 से 375 कुंतल प्रति हेक्टेयर है।
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक देश के पर्वतीय राज्यों के लिए समय-समय पर मक्का, धान, गेहूं सहित सब्जियों आदि के बीजों की उन्नत प्रजातियां विकसित करते रहते हैं। अब संस्थान के वैज्ञानिकों ने लंबे परीक्षण के बाद वीएल चैरी टमाटर-1 नाम से टमाटर की नई प्रजाति विकसित की है। इसका खेतों में परीक्षण किया जा चुका है।
वीएल चैरी टमाटर-1 इन राज्यों के लिए किया गया है तैयार
संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने बताया कि वीएल चैरी टमाटर-1 में विटामिन सी की मात्रा प्रति 100 ग्राम में 86 मिग्रा. है, जबकि सामान्य टमाटर में यह मात्रा 32 मिलीग्राम होती है। सामान्य टमाटर की अपेक्षा इस टमाटर की पैदावार भी करीब डेढ़ से दो गुना अधिक होती है।
डॉ. लक्ष्मीकांत ने बताया कि वीएल चैरी टमाटर-1 प्रजाति को खास तौर पर उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, असम, अंडमान निकोबार और मध्यप्रदेश राज्यों के लिए विकसित किया गया है। इन राज्यों में बीज का परीक्षण भी किया जा चुका है। जल्द ही कुछ कंपनियों को इसके बीज की बिक्री के लिए भी अधिकृत किया जाएगा।
टमाटर की नई प्रजाति वीएल चैरी टमाटर-1 काश्तकारों के लिए काफी लाभदायक होगी। एक तरफ इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में है वहीं सामान्य टमाटर की अपेक्षा इसकी उपज भी अधिक होती है। इसकी विशेषता यह भी है कि काश्तकार इसका बीज खुद बना सकेंगे। फिलहाल काश्तकारों के लिए विवेकानंद कृषि अनुसंधान संस्थान में इसका बीज उपलब्ध है। – डॉ. लक्ष्मीकांत निदेशक, विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा