टीनेज शुरू होने पर मासिक धर्म (Menstruation) भी शुरू हो जाता है. पीरियड्स के चार फेज होते हैं. इस दौरान शरीर के निचले हिस्से से रक्त का स्राव होता है. इन दिनों में महिलाओं को पेट में दर्द, व्यवहार में बदलाव और मितली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है. महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य और बच्चेदानी के लिहाज से माहवारी लाभदायक भी मानी जाती है. यदि मासिक धर्म चक्र समय पर ना हो तो यह बड़ी चिंता का कारण भी बन सकती है. बात करेंगे 20, 30 और 40 साल की आयु में मासिक धर्म (Menstruation) में किस तरह के बदलाव महसूस होते हैं.
20 की आयु में पीरियड्स-
लड़कियों को इस उम्र में इन दिनों रक्त का स्राव नियमित रुप से होता है. नियमित पीरियड्स आने के दौरान कई समस्याआों का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान गर्भनिरोधक का सेवन रक्त प्रवाह को कम या ना के बराबर कर सकता है. हालांकि यह कोई अधिक चिंता का विषय नहीं है. यदि पीरियड्स चक्र के तीन महीनों तक ऐसा होता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
उम्र के इस पड़ाव पर आप तनावरहित हैं और गर्भवती भी नहीं है और आपको एक हफ्ते तक पीरियड्स रहते हैं तो इसका कारण कोई हॉर्मोनल संतुलन (PCOS) हो सकता है. इस कारण अंडाशय में सिस्ट विकसित होने लगते हैं. 20 वर्ष की आयु में इस तरह की समस्या आम है. इसके विपरीत इस उम्र में तनाव, ब्रेकअप, रिलेशनशिप आदि से पीरियड्स चक्र प्रभावित होते हैं. क्योंकि इस अवस्था में तनावग्रस्त हॉर्मन्स अंडाशय में संदेश नहीं दे पाते हैं और पीरियड्स अनियमित रूप से आते हैं. इस उम्र में पीएमएस के लक्षण सामने आते हैं जिसमें स्तनों का सख्त होना, पेट में दर्द और अन्य माहवारी पूर्व लक्षण शामिल होते हैं.
30 की उम्र में पीरियड्स-
उम्र के इस पड़ाव पर महिलाओं में पीरियड्स नियमित रूप से होते हैं जिनमें स्राव अधिक और कम भी हो सकता है. इस उम्र में एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis) और फाइब्रॉएड (Fibroids) भी सामान्य रूप से देखा जाता है. इस उम्र में मां बनना आपके माहवारी चक्र को सामान्य रूप से बदल देता है. स्तनपान कराने से भी इस पर प्रभाव पड़ता है. इस दौरान महिलाओं को सौम्य गर्भाश्य में वृ्द्धि, पोलिप्स और फाइब्रॉएड की समस्याएं घेर लेती हैं. शारीरिक रूप से कम लेकिन मासिक धर्म चक्र पर इसका प्रभाव अधिक नजर आता है.
40 की उम्र में पीरियड्स-
ये समय रजोनिवृत्ति से पहले का होता है. उम्र के इस पड़ाव में महिलाएं पीरियड्स नियमित रूप से न होना आना या बिल्कुल भी नहीं होना जैसी समस्याओं से जूझती हैं. 40 की उम्र के आस-पास मां बनना भी महिलाओं के लिए आसान नहीं होता है. शरीर को इस उम्र पर सहज होने में समय लगता है. व्यायाम के रुटीन में बदलाव भी मासिक चक्र पर असर छोड़ते हैं. इस उम्र में व्यायाम करने से गर्भाश्य का खतरा अधिक रहता है जो अनियमित पीरियड्स का पहला लक्षण है.
इस दौरान समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह काम आ सकती है. कुछ महिलाओं को रजोनिवृत्ति से दस साल पहले ही पेरीमोनोपॉज की समस्या उत्पन्न हो सकती है. यहां तक कि यदि आपका डिंबोत्सर्जन (Ovulation) अनियमित नहीं है तो भी आप गर्भवती हो सकती हैं. यदि आपको एक साल तक पीरियड्स नहीं हुए तो आप रजोनिवृत्ति चरण में पहुंच चुकी हैं. इस स्तर पर ऐसा होता है कि प्रोजेस्टॉन और एस्ट्रोजन स्वायत रूप से कार्यशील नहीं हो पाते हैं. ये किशोरावस्था में जैसे काम करते हैं, इस पड़ाव पर ये वैसे काम नहीं कर पाते हैं.