किसी भी व्यक्ति के लिए नींद (Sleep) बहुत जरूरी है. अगर किसी में नींद से जुड़ी समस्या या विकार है तो उसके स्वास्थ्य को खतरा है. यह गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) के लिए विशेष रूप से सच है. यदि कोई मां बनने वाली है तो उसके लिए रात में पर्याप्त नींद लेना जरूरी है. ऐसा न होने पर कुछ अवांछित जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है. उनमें से एक है स्टिलबर्थ. myUpchar से जुड़ीं डॉ. अर्चना निरूला का कहना है कि स्टिल बर्थ का मतलब प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह से लेकर डिलीवरी के ड्यू डेट के बीच में किसी समय गर्भ के अंदर ही शिशु की मौत हो जाना या फिर जन्म के दौरान शिशु का मृत पैदा होना.
धूम्रपान, मां की अधिक उम्र, मधुमेह, मोटापा और नशीली दवाओं का सेवन करना स्टिल बर्थ के जोखिम कारक हैं. लेकिन अब एक अध्ययन में कहा गया है कि गर्भावस्था के दौरान प्रति रात नौ घंटे से अधिक सोने से लेट स्टिलबर्थ हो सकता है. लेट स्टिल बर्थ का मतलब है कि 28 से 36 सप्ताह की प्रेगनेंसी.
डिविजन ऑफ स्लीप मेडिसिन, डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी और डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनेकोलॉजी 153 महिलाओं के ऑनलाइन सर्वेक्षण का विश्लेषण करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे, जिन्होंने लेट स्टिल बर्थ का अनुभव किया और वे 480 महिलाएं जो तीसरी-तिमाही गर्भावस्था में थी या जिन्होंने हाल ही में उसी अवधि के दौरान एक जीवित बच्चे को जन्म दिया था. जर्नल बर्थ ने यह अध्ययन प्रकाशित किया.
शोधकर्ताओं के अनुसार, लंबे समय तक मां की अबाधित नींद और स्टिलबर्थ के बीच एक संबंध है जो अन्य जोखिम कारकों से स्वतंत्र थे. लेकिन वे चेतावनी देते हैं कि रिश्ते को बेहतर ढंग से समझने के लिए और गर्भवती महिलाओं के लिए इसका क्या अर्थ है, इसके लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है.
शोधकर्ताओं के मुताबिक गर्भवती महिलाएं अक्सर जागने और रात के बीच-बीच में उठने की शिकायत करती हैं. रात के दौरान कई बार जागने से कुछ महिलाओं को चिंता हो सकती है, फिर भी डिलीवरी के संदर्भ में यह सुरक्षात्मक दिखता है. वे स्वीकार करते हैं कि आगे के अध्ययन में मां की नींद और डिलीवरी के बीच के संबंधों को गहरा करने की आवश्यकता है. विशेष रूप से इस पर फोकस करना कि कैसे ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम जो कि शरीर की कार्यप्रणाली को विनियमित करते हैं और हार्मोनल सिस्टम को लेट प्रेगनेंसी में नींद के दौरान विनियमित किया जाता है.
इस अध्ययन के शोधकर्ताओं के मुताबिक नींद के दौरान ब्लड प्रेशर अपने निम्नतम बिंदु पर पहुंच जाता है. लेकिन जब किसी को जगाया जाता है, तो नर्वस सिस्टम की गतिविधि में वृद्धि होती है, जिससे ब्लड प्रेशर में क्षणिक वृद्धि होती है. वे कहते हैं कि ब्लड प्रेशर में ये संक्षिप्त वृद्धि अपेक्षाकृत लो प्रेशर की लंबी अवधि को रोकने में सक्षम हो सकती है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि लो ब्लड प्रेशर भ्रूण के विकास की समस्याएं, प्रीटर्म बर्थ और स्टिलबर्थ का कारण बन सकता है.
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है, इसका मतलब यह नहीं कि गर्भवती महिलाओं को रात में खुद को जगाने की जरूरत है. टूटी हुई नींद के अपने दुष्प्रभाव होते हैं. यह भी भ्रूण के विकास को प्रभावित करता है. myUpchar से जुड़े डॉ. विशाल मकवाना का कहना है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान सामान्य से ज्यादा सो सकती हैं. गर्भावस्था में थकान महसूस करना सामान्य है, क्योंकि इस समय प्लेसेंटा बन रही होती है, शरीर में अतिरिक्त रक्त बन रहा होता है और दिल तेजी से धड़कने लगता है