रिकवरी के बाद 2-3 महीनों तक दिखते हैं कोविड-19 के लक्षण, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का दावा

रिकवरी के बाद 2-3 महीनों तक दिखते हैं कोविड-19 के लक्षण, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का दावा

कोविड-19 के आधे से ज्यादा मरीजों में अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी बीमारी के लक्षण नजर आ रहे हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की एक नई स्टडी के मुताबिक, कोरोना वायरस (Corona virus) के संपर्क में आने के बाद दो से तीन महीनों तक मरीजों को सांस में तकलीफ, थकावट, एन्जाइटी और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है.

58 मरीजों की हेल्थ को किया मॉनिटर-

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अस्पताल में एडमिट कोविड-19 के 58 रोगियों में लंबे समय तक इस बीमारी का असर देखा है. उन्होंने पाया कि कोरोनो वायरस से संक्रमित कुछ रोगियों के मल्टीपल ऑर्गेन्स (अंग) असामान्य स्थिति में रहते हैं. उनमें लगातार सूजन होने की वजह से ये समस्या कुछ महीनों तक बनी रहती है. इस स्टडी की अब तक दूसरे वैज्ञानिकों ने समीक्षा नहीं की है. हालांकि इसकी समीक्षा होने से पहले ही यह MedRxiv में प्रकाशित हो चुकी है.

रिकवरी के बाद हेल्थ पर नजर रखने की जरूरत-

ऑक्सफोर्ड के रेडक्लिफ डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के डॉक्टर बैटी रमन ने कहा, ‘ये निष्कर्ष कोविड-19 से जुड़ी शारीरिक प्रक्रियाओं का अधिक पता लगाने की जरूरतों को दर्शाता है. साथ ही क्लीनिक केयर के एक ऐसे मॉडल को विकसित करने की ओर इशारा करता है जिससे डिस्चार्ज हुए मरीजों की हेल्थ को मॉनिटर किया जा सके.’

क्या है लॉन्ग कोविड?

ब्रिटेन के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कोविड-19 से होने वाली बीमारी जिसे कभी-कभी ‘लॉन्ग कोविड’ भी कहा जाता है, इसमें शरीर और दिमाग पर असर डालने वाले कई लक्षण शामिल हैं.’

64% लोगों में सांस की तकलीफ-

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के परिणाम बताते हैं कि वायरस के संपर्क में आने के दो से तीन महीनों बाद 64 प्रतिशत मरीजों में सांस की तकलीफ देखी गई है. जबकि 55 प्रतिशत रोगियों में थकान का लक्षण देखा गया है.

किडनी और लिवर पर बुरा असर-

MRI स्कैन से 60 फीसद कोविड-19 मरीजों के अंग असामान्य स्थिति में देखे गए हैं. किडनी में 29%, हृदय में 26% और लिवर में 10% बदलाव आया है. डॉ. रमन ने कहा, ‘अंगों में देखी गई ये असामान्यताएं इन्फ्लेमेशन के सीरम मार्कर के साथ मजबूती से जुड़ी हुई हैं. इससे रोगियों में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन और अंगों में हो रही क्षति के बीच जुड़ाव का पता चलता है.’

कोरोना से तबाही-

बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना के 4 करोड़ से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इस जानलेवा वायरस से अब तक 11 लाख 22 हजार से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. भारत में 20 अक्टूबर तक कोरोना के ऐक्टिव केस 7,48,499 हैं. देश में कोरोना से एक लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.

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