सभी ज्ञानेंद्रियों में एक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्री हमारे कान हैं, जिनसे हम सुनकर उन आवाजों को अपने मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ही हमारा मस्तिष्क प्रतिक्रिया देता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कान से सुनाई ना देने या कम सुनाई देने की समस्याएं होती हैं. ऐसी समस्या या तो बचपन से ही होती है या बढ़ती उम्र में कई बार लापरवाही के कारण भी होती है. myUpchar के अनुसार, श्रवण हानि के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे तेज आवाज या शोर, चोट, बुढ़ापा, वंशानुगत और संक्रमण.
कान की बनावट
कानों को तीन भागों में बांटा जा सकता है, एक बाह्य कान, दूसरा मध्य कान और तीसरा अंदरूनी कान. बाह्य कान वातावरण में आ रही आवाजों को ध्वनि तरंगों के रूप में ग्रहण करता है. यह तरंगें कैनाल यानी नहर से होती हुई इयर ड्रम की ओर पहुंचती हैं. इसी वजह से ईयर ड्रम वाइब्रेट होने लगता है यानी वहां हलचल पैदा होती है. इस वाइब्रेशन से मध्य कान की 3 छोटी हड्डियों में गति होने लगती हैं. इसी गति के कारण कान के अंदरूनी हिस्से में स्थित द्रव हिलने लगता है. अंदरूनी कान में जो सुनने वाली कोशिकाएं होती हैं, वह इस द्रव की गति से थोड़ी मुड़ जाती हैं और यह दिमाग को संकेत भेजती हैं. यही संकेत शब्दों और ध्वनियों के रूप में सुनाई पड़ते हैं.
उम्र बढ़ने के साथ बहरापन
बढ़ती उम्र के साथ-साथ अधिकतर लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर होने लगती है. कई लोगों को उम्र बढ़ने के साथ बहरेपन की समस्या आनुवंशिक भी होती है.
बीमारियों के कारण बहरापन
कई लोगों को सुनाई कम देने की समस्या उनकी बीमारियों की वजह से भी हो सकती है, जैसे डायबिटीज, खसरा या कंठमाला आदि की बीमारी है. ऐसे लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है.
कान में संक्रमण भी बहरेपन का कारण
myUpchar के अनुसार, कुछ लोगों को बहरेपन की समस्या कान में संक्रमण के कारण भी होती है. कान से पानी आता है या कई लोग कान की सफाई के लिए किसी चीज का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से कान के पर्दे में सूजन आ जाती है. इसके किसी प्रकार की चोट की वजह से भी कान में संक्रमण फैल जाता है. इन सभी कारणों से सुनाई देने की समस्या शुरू हो जाती है. लेकिन काफी हद तक उपचार द्वारा इस समस्या को ठीक भी किया जा सकता है.
इन कारणों से भी आता है बहरापन
बहरेपन के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे आजकल लोग तेज आवाज में गाने सुनते हैं और ध्वनि प्रदूषण आज बहुत ज्यादा बढ़ गया है इस वजह से भी श्रवण शक्ति कमजोर हो जाती है या बहरापन होने की समस्या शुरू हो जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक यदि कान का ख्याल नहीं रखा जाए तो कान की 30 फीसदी कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिसका दोबारा निर्मित होना लगभग असंभव है.
ऐसे रखें अपने कान का ख्याल
कान को सेहतमंद रखना है तो कभी भी तेज आवाज में गाने सुनने से बचना चाहिए. इसके साथ ही अधिक शोर वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. कानों मे सफाई के लिए किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल नही करना चाहिए. बाहर जाने से पहने कान में रूई लगाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार के बाहरी संक्रमण से बचा जा सके.