WHO को साल के आखिरी तक कोरोना वैक्सीन की उम्मीद, जानिए कहां तक भारत में पहुंचा 3 ट्रायल

दुनिया इस समय कोरोना वैश्विक महामारी संकट से घिर चुकी है। सभी देशों को कोरोना वैक्सीन से ही उम्मीदें हैं। इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन इस साल के अंत तक मिल सकती है। हालांकि उन्होंने इस बारे में और अधिक जानकारी नहीं दी है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि हम सभी को वैक्सीन की जरूरत है और उम्मीद करते हैं कि इस साल के अंत तक हमें वैक्सीन मिल सकती है।

फिलहाल दुनियाभर में नौ कोरोना वैक्सीन का विभिन्न चरणों में क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इसके नतीजों पर दुनिया के सभी देशों की नजर है। रूस और चीन ने वैक्सीन तैयार कर ली है और कई खबरों की मानें तो आपातकाल मंजूरी के तहत यह टीके वहां के लोगों को लगाना भी शुरू कर दिया गया है।

भारत भी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है। अमेरिका के बाद भारत में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं, ऐसे में देश के लोग भी चाहते हैं कि जल्द कोई कारगर और सुरक्षित वैक्सीन आए। भारत की बात करें तो फिलहाल देश में तीन कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम चल रहा है। यह सभी टीके ट्रायल के अलग-अलग चरणों में है। बीते रविवार संडे संवाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन कह चुके हैं कि सरकार जुलाई 2021 तक 40 से 50 करोड़ डोज उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। आइए जानते हैं भारत में चल रहे तीनों टीकों और उनके ट्रायल के बारे में…

पहली वैक्सीन- कोवाक्सिन(Covaxin)

कोवाक्सिन(Covaxin) भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है। इस वैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) और भारत बायोटेक कंपनी विकसित कर रही है। यह एक इनऐक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन है। इस वैक्सीन का ट्रायल दूसरे चरण से गुजर रहा है। खबरों के मुताबिक, वैक्सीन की कीमत काफी कम रखी जाएगी।

दूसरा वैक्सीन- जायकोव-डी (Zycov-D) 

जायकोव-डी (Zycov-D)  देश की दूसरी स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है। इसे भारत की बड़ी फॉर्मा कंपनी जायडस कैडिला(Zydus Cadiila) ने विकसित किया है।  यह एक तरह की डीएनए आधारित वैक्सीन (DNA Based Vaccine) है। यह वैक्सीन भी ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण से गुजर रही है। इसकी कीमत को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है।

तीसरी वैक्सीन- कोविशील्ड(Covishield) 

कोविशील्ड(Covishield) भारत में ट्रायल में शामिल तीसरी वैक्सीन है। इसे ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी(Oxford University) और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका(Astrageneca) ने तैयार किया है। यह नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर वैक्सीन है। भारत में एस्ट्राजेनेका से करार के तहत पुणे की कंपनी सीरम इंडिया इंस्टिट्यूट(Serum Institute of India) इसे तैयार कर रही है।  देश में यह वैक्सीन फिलहाल दूसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल से गुजर रही है।

सीरम इंडिया इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक, कोविशील्ड की कीमत 1,000 रुपये के करीब हो सकती है। लेकिन भारत के अलावा निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) के लिए एक अंतरराष्ट्रीय करार के तहत वैक्सीन करीब 225 रुपये में उपलब्ध कराई जाएगी।

तो इस लिहाज से दुनिया में कोरोना महामारी संकट से बचने के लिए वैक्सीन के आने की उम्मीदों पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। क्योंकि कोरोना वैक्सीन से ही हम मानवता पर गहराते इस बड़े संकट के खिलाफ जंग जीत सकते हैं।

 

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