चर्चित अभिनेता मनोज बाजपेयी ने प्रवासियों के मुद्दे को तवज्जो नहीं देने पर मीडिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने चर्चित भोजपुरी रैप गाने ‘बांबे में का बा’ में घर से दूर रहने की उदासी और प्रवासियों के गर्व और उनके दर्द को उभारने की कोशिश की है, जिसमें लोग नौकरी के लिए अपने घरों को छोड़ कर बड़े शहरों की खाक छानते रहते हैं।
फिल्म शूल, सत्या, अलीगढ़ व गैंग्स ऑफ वासेपुर से चर्चित 51 वर्षीय अभिनेता ने कहा कि न्यूज चैनलों द्वारा प्रवासियों के मुद्दे को नहीं उठाया जाना दुखद है। बिहार के पश्चिम चंपारण के बेलवा गांव के निवासी बाजपेयी ने कहा कि इस रैप में अपनी जन्मभूमि के लिए गर्व को दिखाना चाहते थे। उन्होंने कहा, रैप आपके गुस्से और विरोध को प्रदर्शित करने का बेहतरीन जरिया है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मार्च में लाखों प्रवासी मजदूर काम बंद होने के कारण राजमार्गों पर पैदल, साइकिल या लिफ्ट लेकर सैकड़ों किलोमीटर अपने घरों की ओर चल दिए। तब लंबी पदयात्रा की तस्वीरें और प्रवासियों की मौत ने देश को झकझोर कर रख दिया था और वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियां बनी थीं। लेकिन अब उनके मुद्दिे खबरों से गायब हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मीडिया को इसके बारे में बात करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसा न हो।
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुनावी जीत के पीछे महिलाओं की ‘खामोश शक्ति’ को देखते हुए कांग्रेस ने भी विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं को लुभाने के लिए महिला क्रांति सम्मेलन करने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अक्तूबर के दूसरे हफ्ते में वीडियो कांफ्रेंस के जरिये इस सम्मेलन के संबोधित करेंगी।
पार्टी के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा कि हम एक विशाल महिला सम्मेलन कराने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए हमने राहुल और प्रियंका से समय मांगा है। पार्टी ने इसके लिए बिहार के सभी जिलों में सिनेमा हॉल और सभागार बुक कराए हैं, ताकि महिलाएं प्रियंका को बड़े परदे पर देख और सुन सकें।