कोरोना के कहर के बीच गुरुवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों के विदेश मंत्रियों बैठक हुई। बैठक में भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। बैठक के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि आज सार्क विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि ‘पड़ोसी की पहली नीति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता सभी पड़ोसी देशों से जुड़ाव, एकीकृत, सुरक्षित और समृद्ध दक्षिण एशिया के निर्माण की दिशा में काम करने की है।’
विदेश मंत्री ने बैठक में मालदीव के लिए सार्क पड़ोसियों द्वारा विस्तारित 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर विदेशी मुद्रा विनिमय सहायता के लिए भारत के समर्थन पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने भूटान को 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुद्रा विनिमय सहायता। इस वर्ष के दौरान श्रीलंका में 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता का भी जिक्र किया।
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान की ओर से भी विदेश मंत्रालय के लोग शामिल हुए। लेकिन इस दौरान बैकग्राउंड में पाकिस्तान ने कोई नक्शा नहीं लगाया था। दरअसल पिछली बार पाकिस्तान ने बैठक में एक काल्पनिक नक्शा पेश किया था और उसमें भारत की जमीन को भी अपना बताया था। पाकिस्तान के इस नक्शे के बाद एनएसए डोभाल ने काफी सख्ती दिखाई थी और पड़ोसी देश के इस काल्पनिक नक्शे का विरोध करते हुए मीटिंग छोड़कर चले गए थे।
बता दें कि जो नक्शा पाकिस्तान ने प्रदर्शित किया था, उसे हाल ही में संसद में मंजूरी दी गई है। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि पाकिस्तान के प्रतिनिधि डॉक्टर मोईद ने सर क्रीक रेखा के तहत आने वाले हिस्सों को भी अपने क्षेत्र में बताने वाले नक्शे को मीटिंग में प्रदर्शित किया था।
इसके तहत उसने गुजरात के जूनागढ़ पर भी अपना दावा किया है। एनएसए डोवाल इस मीटिंग में पाक के इस नक्शे के प्रदर्शित होने के बाद मीटिंग से उठकर चले गए थे।
पिछली बार हुई वर्चुअल मीटिंग में एनएसए डोवाल की जगह उनकी खाली कुर्सी रखी गई थी। पाकिस्तान के प्रतिनिधित्व डॉक्टर मोइद युसूफ जहां पर बैठे थे उसके पीछे पाकिस्तान का राजनीतिक नक्शा नजर आ रहा था। यही नक्शा डोवाल की नाराजगी की वजह बन गया था। इस नक्शे में पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को अपनी सीमा में दिखाया था।