प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहाकार रहे रिटायर आईएएस नृपेंद्र मिश्र ने बुधवार को अयोध्या के विस्तारीकरण के साथ विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाओं का खाका खींचा। अयोध्या समेत गोंडा-बस्ती के सीमाई इलाकों का दौरा करके राममंदिर तक आवागमन के लिए हाइवे से तीन कॉरिडोर बनेगें।
नोएडा के डीएनडी की तर्ज सड़कें, पुल और फ्लाईओवर के लिए स्थजल भी देखे गए। आधुनिकता के साथ प्रभुराम की नगरी को आध्यात्मिक व सांस्कृतिक भावभूमि से ओतप्रोत नामकरण के साथ त्रेतायुग जैसे दृष्यों-प्रकल्पों से सजाने को लेकर पूरे दिन तीन चक्रों में दौरे व बैठकें करके में योजना में अहम प्रस्ताव शामिल किए गए। श्री मिश्र यह रिपोर्ट सीधे पींएमओ को देंगे।
अवधपुरी को दुनिया का सबसे वैभलशाली और समृद्धिशाली नगरी के रूप में सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के संकल्प के लिए हम सब प्रतिबद्ध हैं..। यह वाक्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के भूमिपूजन के दौरान पिछले माह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी के समक्ष कहा था। इसे साकार करने की योजना बनाने में बुधवार को सुबह से देर शाम तक पीएम मोदी के निर्देश पर आए रिटायर आईएएस नृपेंद्र मिश्र जुटे दिखे। सारा कार्यक्रम इस तरह गोपनीय रखा गया कि चंद आला अधिकारियों व इंफ्रास्ट्रक्टर से जुड़े विभागाध्यक्षों के अलावा किसी को खबर नहीं थी।
सुबह ठीक नौ बजे सर्किट हाऊस में कमिश्नर एमपी अग्रवाल, डीएम अनुज कुमार झा, नगर आयुक्त व प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विकास सिंह आदि पहुंच गए। नृपेंद्र मिश्र ने निर्देश दिए कि पहले वे साइट देंखेंगे, फिर प्रजेंटेंशन होगा। इसके बाद राममंदिर बनने के साथ भक्तों की भीड़ बढ़ने पर आवागमन के इंतजाम को लेकर लखनऊ हाइवे के सहादतगंज से श्रीरामजन्मभूमि तक करीब 11 किमी लंबा पहले फोरलेन कॉरिडोर की योजना फाइनल की गई।
फिर वे लखनऊ हाइवे के महोबरा से टेड़ी बाजार होकर श्रीरामजन्मभूमि तक एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव को देखने गए। इसके बाद राम की पैड़ी के पास स्थित फोरलेन सड़क से हनुमानगढ़ी होकर राममंदिर तक फोरलेन तीसरे कॉरिडोर की योजना को भी लौटकर प्रजेटेंशन देखकर स्वीकृति के लिए चयनित करने की हरी झंडी दी गई।
श्री मिश्र ने इसके बाद माझा बरेहटा में प्रस्तावित विश्व की सबसे ऊंची 251 मीटर की प्रभुराम की प्रतिमा का स्थल को देखा। उन्हें 259 भूखंडो के 85.977 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण से लेकर पैडस्टल में बनने वाले डिजिटल लाइब्रेरी समेत राज्यों के गेस्टहाऊस आदि योजनाओं की जानकारी दी गई। यहां सरयू किनारे रिवर फ्रंट, त्रेतायुग की आध्यात्मिक व धार्मिक कृतियों का चित्रण, लैंडस्कैप विकसित कर सिर्फ 5 फीसदी कंस्ट्रक्शन कर बाकी भूभाग में इको व ग्रीन सिटी की योजना बताई गई।
इसके पास माझा बरेहटा, मांझा तिहुरा, व मांझा शहनाज गांव की भूमि पर करीब साढ़े सात सौ एकड़ भूमि में आवास विकास परिषद लखनऊ की ओर से अधिग्रहण कर कई उपनगर व व्यावसायिक कांपलेक्स बसाने की योजना साझा की। सूत्र बताते हैं कि यहां से सरयू पर एक और पुल बनाकर बस्ती जिले के नदी किनारे वाले इलाको में एक नया आधुनिक शहर, पंच सितारा होटल आदि की योजना सामने आई। इसके बाद सीमाई बस्ती व गोंडा के इलाकों में करीब 20 किमी तक अयोध्या के विस्तारीकरण और 35 किमी दूर स्वामीनारायण की जन्मस्थली छपिया तक कॉरिडोर पर चर्चा हुई। बाद में प्रजेंटेशन के दौरान तय हुआ कि इन सभी इलाकों को यातायात सुविधा बेहतर बनाने के लिए नोएडा के डीएनडी की तरह सड़कें, पुल व फ्लाइओवर का प्लान बने।
यहां औद्योगिकीकरण के लिए भी कॉरिडोर बने, ताकि उद्योगजगत आकर्षित हो और इंडस्ट्री लगे। श्री मिश्र के निरीक्षण की खास बात यह रही कि वे हर प्रस्तावित निर्माण कार्य को वैदिक काल से महाकाव्य काल के नाम देने के साथ उसकी भावभूमि से पर्यटकों परिचित कराने के लिए त्रेता युग जैसा चित्रण होना चाहिए। कहा कि अयोध्या हमारी राष्ट्रीयता व राष्ट्रीय एकता का प्रतिबिंब है। अयोध्या का विकास अंतराष्ट्रीय मानक के आधार पर होगा, इसके लिए भूमि को देखा गया है, अब एजेंसियां विकास के लिए परियोजनाएं तय करेगीं।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाहर नया शहर तो बस जाएगा, लेकिन मूल अयोध्या के पुराने शहर को उसकी पौराणिकता के साथ इस तरह से विकास का ढांचा तय करें कि लाखों की भीड़ को को परेशानी न हो। हर सुख-सुविधा हो, खासकतर सड़कें चौड़ी हो, बिजली चौबीस घंटे हो, सड़क किनारे जनसुविधाओं में कोई कमी न हो और शहर एक रंग में दमकता दिखे। इस दौरान संस्कृति विभाग की समेकित पर्यटन विकास की योजना पर भी प्रजेंटेशन हुआ।
राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र बुधवार को ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, सदस्य डॉ अनिल मिश्र समेत कमिश्नर, डीएम के साथ बैठक में राममंदिंर निर्माण को लेकर भी चर्चा की। ट्रस्ट अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास का हाल-चाल भी लिया।
राममंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली इंजीनियरिंग कौशल, सामग्री से लेकर राजस्थान से मंगाए जाने वाले बंशीपहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों को लेकर विस्तार से चर्चा की। नींव की पायलिंग की मजबूती और एलएंडटी के हर निर्माण को आईआईटी संस्थानों से परीक्षण कराते रहने पर भी जोर दिया।
सूत्र बताते हैं कि ट्रस्ट ने निर्माण कार्य के हर पहलू में पारदर्शिता पर बल दिया। श्री मिश्र ने राममंदिर के लिए आ रहे दान के बारे में भी विस्तार से जानकारी जुटाई। ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने दान कम आने की बात भी कही, खासकर बड़े औद्योगिक घरानो की चुप्पी का मुद्दा भी उठा।
बताया गया कि अभी सिर्फ आमभक्तों के दान ही आ रहे हैं, जो रोजाना एक लाख तक बमुश्किल पहुंच रहा है। सभी दानदाताओं को उनके पते पर प्रसाद व रसीद ट्रस्ट की ओर से पोस्टआफिस के जरिए भेजी जाती है।