श्राद्ध पर्व चल रहा है. यह पर्व 2 सितम्बर से आरम्भ हुए हैं. ऐसे में इस दौरान सूक्त पढ़ने से, कथा पढ़ने से बड़े लाभ होते हैं. कहा जाता है इस दौरान कर्ण की कथा का श्रवण करना चाहिए. यह बहुत ही लाभकारी मानी जाती है. जी दरअसल श्राद्ध पर्व पर यह कथा अधिकांश क्षेत्रों में सुनाई जाती है. आइए आज हम आपको बताते हैं यह कथा, इस कथा को आप भी हर दिन पढ़ेंगे तो आपके पितृ खुश हो जाएंगे और आपके घर में खुशहाली बरकार रहेगी.

कथा- महाभारत के दौरान, कर्ण की मृत्यु हो जाने के बाद जब उनकी आत्मा स्वर्ग में पहुंची तो उन्हें बहुत सारा सोना और गहने दिए गए. कर्ण की आत्मा को कुछ समझ नहीं आया, वह तो आहार तलाश रहे थे. उन्होंने देवता इंद्र से पूछा कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया. तब देवता इंद्र ने कर्ण को बताया कि उसने अपने जीवित रहते हुए पूरा जीवन सोना दान किया लेकिन अपने पूर्वजों को कभी भी खाना दान नहीं किया.
तब कर्ण ने इंद्र से कहा उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि उनके पूर्वज कौन थे और इसी वजह से वह कभी उन्हें कुछ दान नहीं कर सकें. इस सबके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने का मौका दिया गया और 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया, जहां उन्होंने अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका श्राद्ध कर उन्हें आहार दान किया और उसके बाद तर्पण किया. इन्हीं 16 दिन की अवधि को पितृ पक्ष कहा गया.
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