चीन से तनाव के बीच देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के दौरे पर हैं. गुरुवार को राजनाथ सिंह ने रूसी रक्षा मंत्री से मुलाकात की. दोनों देशों के बीच कई अहम मसलों पर समझौता हुआ. साथ ही रूस की बेहतरीन AK-203 रायफल को अब भारत में बनाया जाएगा, जिसको लेकर दोनों देशों में बात आगे बढ़ गई है. यह रायफल एक मिनट में 600 गोलियां फायर करने में सक्षम है.
रूस की डिफेंस इंडस्ट्री जल्द ही भारत के मेक इन इंडिया प्रोग्राम में अपना योगदान दे सकती है और भारत में हथियारों का प्रोडक्शन शुरू हो सकता है. साथ ही रूस अगले साल होने वाले भारत के एयरो इंडिया एग्जीबेशन में हिस्सा ले सकता है.
AK-203 रायफल, AK-47 का अत्याधुनिक मॉडल है. अगर भारतीय सेना में इसकी एंट्री होती है, तो ये इंसास रायफल की जगह लेगा. अपनी 100 फीसदी सफलता के लिए मशहूर AK-203, कन्वर्टेबल रायफल है. इसे सेमी-ऑटोमेटिक और ऑटोमैटिक मोड पर चलाया जा सकता है. एके-47 सबसे बेसिक मॉडल है इसके बाद एके-74, 56, 100 और 200 सीरीज आ चुकी है.
इसकी लंबाई करीब 3.25 फुट है. गोलियों से भरी राइफल का वजन लगभग 4 किलोग्राम होगा. यह नाइट ऑपरेशन में भी काफी कारगर होगी. यह एक सेकेंड में 10 राउंड फायर करती है.
या ऐसे समझे कि एक मिनट में 600 गोलियां दुश्मन के सीने में उतार सकती है. जरूरत पड़ने और पर 700 राउंड भी फायर किया जा सकता है. दुनिया को सबसे खतरनाक गन देने वाली शख्सियत का नाम है, मिखाइल क्लैशनिकोव. इन्हीं के नाम पर एके-47 का नाम पड़ा. एके का फुलफॉर्म होता है ऑटोमैटिक क्लैशनिकोव.
इसको चलाने में ग्लव्स परेशानी नहीं बनते. आमतौर पर सीमाई इलाकों में ठंड रहती है. ऐसे में ज्यादातर समय में सैनिक मोटे ग्लव्स को पहन गन चलने में चूक जाते थे. लेकिन एके सीरीज की बंदूकों ने ये काम आसान कर दिया है. एके-203 असॉल्ट रायफल की रेंज 800 मीटर है. इस रेंज में आने वाले दुश्मन को यह छलनी कर देती है.
एके-203 असॉल्ट रायफल की गोली की गति 715 किमी प्रति घंटा होती है. भारतीय थल सेना को करीब 7.7 लाख AK-203 रायफल की जरूरत है, जिसमें से एक लाख रूस से दी जाएंगी जबकि अन्य का बड़ी संख्या में भारत में ही प्रोडक्शन होगा. इसकी मैगजीन में 30 गोलियां आती हैं.