सिवनी के सीताफलों की देश-विदेश में अलग पहचान है। यही सीताफल अब छपारा सहित अन्य ब्लॉकों के आदिवासी ग्रामीणों की तकदीर बदलने जा रहा है। केंद्र सरकार की “एक जिला एक उत्पाद” योजना में सिवनी जिले को सीताफल उत्पाद के लिए चुना गया है।

इसके तहत किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) का गठन करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। योजना के तहत किसानों को लोन देकर आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे सीताफल का छिलका, गूदा व बीज अलग हो जाएंगे। किसान गूदे के साथ- साथ छिलके व इसके बीजों से भी अच्छी खासी आय कमाई कर सकेंगे
छपारा ब्लॉक के सीताफल की डिमांड ज्यादा है। अभी यहां महानगरों से आने वाले व्यापारी बड़े आकार के फल खरीदते हैं। ऐसे में छोटे आकार के फल से अच्छे दाम ग्रामीणों (संग्राहकों) को नहीं मिल पाते थे। अब नाबार्ड से किसानों को बिना गारंटी ऋ ण मिलेगा। इससे किसान पल्पर सहित फ्रीजर मशीन लगा सकेंगे। इस प्रोजेक्ट को तैयार करने में 10 लाख की लागत आएगी
सीताफल संग्राहकों को एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) का निर्माण करना होगा। इसमें कम से कम 300 संग्राहक रहेंगे। संगठन बनने के बाद सरकार से न केवल उन्हें बिना गारंटी लोन मिलेगा बल्कि सीताफल, इसके बीज व गूदे को बेचने के लिए लिंक भी बनाई जाएगी।
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञानी डॉ एमके सिंह के अनुसार छपारा ब्लॉक के खैरमटाकोल क्षेत्र के जंगल का सीताफल आधा किलो तक का होता है। खाद का उपयोग किए बिना जंगल व खेतों की मेढ़ों में बिना सिंचाई के पनपने वाले ये फल काफी मीठा होता है।
छपारा के सीताफलों की डिमांड महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, गुजरात, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में अधिक है। यहां के व्यापारी सीधे तौर पर आकर ग्रामीणों से बड़े आकार के फल खरीदकर ले जाते हैं। यहां से वे उसे विदेशों में भी सप्लाई करते हैं।
– केंद्र सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना में सिवनी जिले को सीताफल उत्पाद के लिए चुना गया है। प्रशासनिक तौर पर अब इस योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। – एनके सिंह, कृषि विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र सिवनी
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