उत्तर प्रदेश की राज्यसभा उपचुनाव में बीजेपी के जयप्रकाश निषाद निर्विरोध चुने गए हैं. निषाद ने 13 अगस्त को विधानभवन में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. उनके खिलाफ किसी ने भी अपना नामांकन दाखिल नहीं किया था. ऐसे में सोमवार को निर्वाचन अधिकारी ब्रजभूषण दुबे ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित करते हुए प्रमाण पत्र सौंपा है.
बतां दें कि सपा के बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के चलते राज्यसभा सीट रिक्त हुई थी, जिस पर बीजेपी ने जय प्रकाश निषाद को प्रत्याशी घोषित किया गया था. 17 अगस्त को नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख थी. जय प्रकाश निषाद एकलौते प्रत्याशी थे, जिन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किया था. ऐसे में उन्हें राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया है और उनका कार्यकाल मई 2022 तक है.
बता दें कि जयप्रकाश निषाद को सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी जॉइन कराई थी और वह यूपी के कद्दावर राजनेताओं में से एक रहे हैं. बीजेपी के निषाद कैंडिडेट को राज्यसभा भेजने का फैसला पिछड़ी जातियों को रिझाने के फैसले के रूप में देखा जा रहा है. जयप्रकाश निषाद गोरखपुर क्षेत्र से बीजेपी के उपाध्यक्ष हैं.
वह बसपा के टिकट पर 2012 में चौरी-चौरा सीट से विधायक रह चुके हैं, लेकिन फरवरी 2018 में बीजेपी में शामिल हो गए थे. अब बीजेपी उन्हें राज्यसभा भेज रही है और उनका कार्यकाल पांच मई 2022 तक रहेगा. इस तरह से उनके राज्यसभा रहते हुए सूबे में विधानसभा चुनाव होंगे. इसका बीजेपी पूरी तरह से फायदा उठाने की कोशिश करेगी.
यूपी में तकरीबन 7 फीसदी आबादी मल्लाह, केवट और निषाद जातियों की है. यूपी की तकरीबन 20 लोकसभा सीटें और तकरीबन 60 के करीब विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां निषाद वोटरों की संख्या अच्छी खासी है.
गोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, संतकबीर नगर, मऊ, मिर्जापुर, भदोही, वाराणसी, इलाहाबाद ,फतेहपुर, सहारनपुर और हमीरपुर जिले में निषाद वोटरों की संख्या अधिक है. ऐसे में बीजेपी ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजने का फैसला कर मल्लाह समुदाय के दिल को जीतने की कोशिश के तहत देखा जा रहा है.