चीन में जहां कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था अब वहीं, अब ब्यूबोनिक प्लेग से एक सप्ताह में दूसरी मौत हो गई है। जानकारी के मुताबिक, उत्तरी चीन में दूसरे व्यक्ति की मौत इस जानलेवा बीमारी से हो गई है। ब्यूबोनोयर शहर के स्वास्थ्य आयोग ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि ब्यूबोनिक प्लेग के एक मामले में कई अंग फेल होने से एक मरीज की मौत हो गई।
स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि जिस क्षेत्र में यह संक्रमित व्यक्ति रहता था उसे सील कर दिया गया है और सात करीबियों को मेडिकल निगरानी में रखा गया है। इसके बाद इन सभी लोगों का प्लेग टेस्ट नेगेटिव पाया गया है और उनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहा है।
बाओटौ शहर के स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि गुरुवार को चिकित्सा अधिकारियों ने चार दिन पहले एक अन्य व्यक्ति की मौत का कारण, एक रहस्यमयी बीमारी बताई थी। यह व्यक्ति भी भीतरी मंगोलिया क्षेत्र में रहता था।
इससे पहले जुलाई में चीन के पश्चिमी मंगोलिया में एक 15 वर्षीय के लड़के की ब्यूबोनिक प्लेग के कारण मौत हो गई थी। चीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मरमैट जानवर का मांस खाने के कारण इस लड़के की मौत हुई थी।
बता दें कि चीन का दावा है कि उसने बड़े पैमाने पर प्लेग को मिटा दिया है, लेकिन कभी-कभार मामले अभी भी रिपोर्ट किए जाते हैं। चीन में ब्यूबोनिक प्लेग का आखिरी प्रकोप 2009 में देखा गया था, जब तिब्बती पठार पर किंघाई प्रांत के निकेतन शहर में कई लोगों की मौत हो गई थी।
ब्यूबोनिक प्लेग को ‘ब्लैक डेथ’ या काली मौत भी कहते हैं। यह कोई नई बीमारी नहीं है बल्कि इसकी वजह से करोड़ों लोग पहले भी मारे जा चुके हैं। अब तक कुल तीन बार यह बीमारी दुनिया पर कहर बनकर टूटी है। पहली बार इसकी चपेट में आने से लगभग पांच करोड़ लोग, दूसरी बार यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार लगभग 80 हजार लोगों की मौत हुई है।
यह बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है। दरअसल, सबसे पहले ब्यूबोनिक प्लेग जंगली चूहों को होता है। फिर उनके मरने के बाद प्लेग के बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए इंसान के शरीर में घुस जाते हैं। जब पिस्सु काटते हैं तो संक्रमण वाले बैक्टीरिया इंसान के खून में मिल जाते हैं, जिससे इंसान भी प्लेग से संक्रमित हो जाता है। ऐसा चूहों के मरने के दो-तीन हफ्ते बाद होता है।
इस बीमारी में इंसान को तेज बुखार और शरीर में असहनीय दर्द होता है। साथ ही नाड़ी भी तेज चलने लगती है। इसके अलावा दो-तीन दिन में शरीर में गिल्टियां निकलने लगती हैं, जो 14 दिन में ही पक जाती हैं। वही नाक और उंगलियां भी काली पड़ने लगती हैं और ब्यूबोनिक प्लेग फैलाने वाले बैक्टीरिया का नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम है।
यह शरीर के लिंफ नोड्स (लसीका ग्रंथियां), खून और फेफड़ों पर हमला करता है। वैसे तो यह सदियों पुरानी बीमारी है, लेकिन आज भी दुनिया के कई देशों में इसके मामले सामने आते रहते हैं। भारत में भी साल 1994 में ब्यूबोनिक प्लेग के करीब 700 मामले सामने आए थे, जिसमें से 52 लोगों की मौत हो गई थी। धीरे-धीरे वो सड़ने लगती हैं। गिल्टियां निकलने की वजह से इस बीमारी को गिल्टीवाला प्लेग भी कहते हैं।