राम मंदिर निर्माण को लेकर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने मीडिया के साथ विस्तार से बात की. जिलाधिकारी ने बताया कि राम जन्मभूमि की जो शेष 67 एकड़ जमीन है वो भी ट्रस्ट को सौंप दी गई है.
जिलाधिकारी झा से जब पूछा गया कि मंदिर के आकार को बड़ा किया गया है तो यह बताइए कि पहले कार्यशाला में जो पत्थर रखे हैं या जो लोगों ने शिलाएं भेजीं क्या उन सबका इस्तेमाल हो पाएगा?
इस पर झा का जवाब था, ‘देखिए मंदिर का जो भी विस्तार हुआ है, उसमें मूल मंदिर से कोई कोई छेड़छाड़ नहीं है, जो भी एक्सटेंशन है उसमें शिखर (गुंबद) बढ़ाए गए हैं.
सामने एक और मंडप बढ़ाया गया. तराशे पत्थरों की बात करें तो जितने पत्थर ट्रस्ट ने कार्यशाला में रखे हैं, उन सबका इस्तेमाल किया जाएगा. कुछ भी बाकी नहीं रहेगा. नक्शे और मंदिर का विस्तार इसीलिए किया गया ताकी कुछ भी व्यर्थ न हो और विलंब न हो. लोगों ने जितनी ईंटें भेजी हैं, 67 एकड़ का इतना बड़ा कैंपस है, सब काम में आएंगे.’
मस्जिद निर्माण कब तक शुरू होने की संभावना है, उसके लिए जमीन हस्तांतरण की क्या स्थिति है? इस सवाल के जवाब में जिलाधिकारी झा ने कहा कि मस्जिद के लिए हमारा काम एक संतोषजनक जमीन सुन्नी बोर्ड का ऑफर करना था, वह हमने किया.
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार और राज्य सरकार ने कोआर्डिनेशन करके उनको उनकी सहमति के हिसाब से वह जमीन दी. उनके नाम से भूमि स्थानांतरण का आदेश हो गया.
खाता खतौनी के बाद उन्हें बुलाकर जमीन की प्राप्ति करा दी गई. अब आगे उनकी जिम्मेदारी है कि वो कब निर्माण करेंगे, कैसा निर्माण करेंगे? सरकार का जो दायित्व था, वो पूरा कर दिया गया है.”
अयोध्या के धन्नीपुर गांव में बन रही मस्जिद की जमीन का मालिकाना हक सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया है. सारे कागजात भी बोर्ड के चेयरमैन को सौंप दिए गए हैं. बहरहाल, अयोध्या गंगा-जमुनी तहजीब की जमीन रही है. इसलिए मंदिर निर्माण हो या मस्जिद की तामीर, सब कुछ सौहार्द के साथ होगा.