उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर के लैब टेक्निशियन संजीत यादव की किडनैपिंग और हत्या की सीबीआई जांच करवाने का फैसला किया है. राज्य सरकार सीबीआई से इस जांच की सिफारिश करने जा रही है. संजीत यादव कानपुर के बर्रा इलाके के रहने वाले थे.

कुछ दिन पहले बदमाशों ने उन्हें किडनैप कर उनकी हत्या कर दी थी. इस मामले में संजीत यादव के परिवार वालों ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था. इस मामले में पुलिस विभाग ने एसपी अपर्णा, एसओ रंजीत राय और दूसरे पुलिसकर्मियों को उनकी संदिग्ध भूमिका के लिए सस्पेंड कर दिया है.
बता दें कि संजीत यादव की किडनैपिंग के 1 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. उसकी किडनैपिंग 22 जून को हुई थी. 27 जून की सुबह कानपुर की नहर में अपहरण के चार दिन बाद संजीत यादव का कत्ल कर उसकी लाश बहा दी गई थी. आरोप है कि पुलिस ने इस परिवार से फिरौती के 30 लाख रुपये भी लिए, लेकिन डेड बॉडी अभी तक नहीं मिली है.
इस केस की जांच ज्यों ज्यों आगे बढ़ रही है. उलझाऊ बयान सामने आ रहे हैं. इस मामले के तीन हत्यारोपी ज्ञानेंद्र यादव, कुलदीप गोस्वामी और नीलू सिंह 48 घंटे की पुलिस कस्टडी में है. ये लोग पूछताछ में बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं. हत्या का एक आरोपी रामजी शुक्ला कोरोना पॉजिटिव है. उससे 14 दिन बाद पूछताछ की जाएगी.
पुलिस को जांच में पता चला है कि संजीत यादव का अपहरण करने से पहले ही शातिरों ने पुलिस से बचने के लिए तीन सिम खरीदे थे. एक ही फर्जी आईडी पर तीन सिम खरीदे गए. संजीत की कॉल डिटेल से मिले नंबर और परिजनों के फोन पर आने वाली फिरौती की कॉल से यह पता चला है.
रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य आरोपी कुलदीप गोस्वामी ने ही फर्जी आईडी पर लिए गए सिम के नंबर से 22 जून की रात संजीत को फोन कर मौज-मस्ती का लालच देकर बुलाया था. इसके बाद संजीत को किराये के मकान में बंधक बनाकर रखा गया.
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