देश में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने का दावा करने वाले चुनाव आयोग अब पक्षपात और डेटा लीक के अहम सवालों और गंभीर आरोपों से घिरता दिख रहा है.
चुनाव आयोग पर आरोप है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान आयोग के सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की देखरेख करने का जिम्मा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और आईटी सेल को दिया गया था यानी आयोग के पास मौजूद डेटा तक किसी ऐसी निजी कंपनी की पहुंच थी जो साफ और घोषित तौर पर राज्य की तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ी हुई थी.
चुनाव आयोग का जिम्मा राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया हैंडल और पेज पर पैनी निगाह रखना था. लेकिन खुद आयोग के सोशल मीडिया हैंडल, वेबसाइट, पेज और इनमें दर्ज डेटा एक खास राजनीतिक दल के कारोबारी पदाधिकारी के पास गिरवी रखे थे. आयोग की आंखों में उंगुली डालकर दिखाए जाने के बाद मामले की जांच के लिए हलचल तेज़ हो गई है.
अपने स्वतंत्र और निष्पक्ष होने के दावों पर आंच, सवाल और आरोपों पर अब चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के सीईओ से जवाब तलब किया है. आयोग की प्रवक्ता से जब इस बारे में और उनके ट्वीट पर पूछा गया तो उन्होंने भी इसकी तस्दीक की कि सीईओ से पूरी जानकारी मिलने के बाद बताया जाएगा.
हालांकि चौंकाने वाला खुलासा है कि सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग के जन जागरण अभियान और पूरे चुनावी मिशन पर निगरानी का काम जिस कंपनी और शख्स को दिया गया वो तो बीजेपी के युवा विंग बीजेवाईएम यानी भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का संयोजक भी रहा है. नाम है देवांग दवे और उनकी कंपनी है सोशल सेंट्रल मीडिया सॉल्युशन एलएलपी.
चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया हैंडल और पेज पर भी वही पता लिखा था जो उस कंपनी और शख्स का था. सोशल सेंट्रल मीडिया के क्लाइंट लिस्ट में बीजेपी और खुद महाराष्ट्र का मुख्य निर्वाचन अधिकारी का दफ्तर भी शामिल है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी के दफ्तर को यह भी साफ करना होगा कि उनकी वेबसाइट, मीडिया हैंडल, पेज, उन पर मौजूद विज्ञापन पर पता 202, प्रेस मैन हाउस, नेहरू रोड,विले पार्ले ईस्ट, मुंबई. यानी उसी कंपनी वाला क्यों है जो बीजेपी की भी सोशल नेटवर्किंग देखती है और आयोग की भी!
यह सवाल साकेत गोखले ने एक ट्विटर थ्रेड में उठाया है, जो एक पूर्व पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता और कांग्रेस पार्टी के समर्थक भी हैं. गुरुवार शाम को पोस्ट किए गए ट्विटर थ्रेड में गोखले ने उल्लेख किया कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कुछ विज्ञापनों पर नजर डालने के दौरान ध्यान गया कि एड्रेस में मुंबई के विले पार्ले के एक कार्यालय का पता लिखा हुआ है.
उन्होंने कहा, ‘पता 202 प्रेसमैन हाउस, विले पार्ले, मुंबई था. मैंने यह पता लगाने का निर्णय लिया कि यह पता किसका है. यह साइनपोस्ट इंडिया नामक एक विज्ञापन कंपनी का निकला, जो देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के तहत एक सरकार द्वारा संचालित एजेंसी थी.’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में आगे कहा, ‘लेकिन इंतजार करें – यह आधी कहानी नहीं है. 202 प्रेसमैन हाउस का पता सोशल सेंट्रल नामक एक डिजिटल एजेंसी द्वारा भी इस्तेमाल किया गया था. यह एजेंसी देवांग दवे के पास है, जो बीजेपी की युवा विंग भाजयुमो की आईटी और सोशल मीडिया के राष्ट्रीय संयोजक हैं.’
इन आरोपों पर देवांग दवे का कहना है कि मेरी प्रतिष्ठा को खराब करने के लिए पूरी तरह से निराधार आरोप लगाए गए हैं क्योंकि मैं बहुत विनम्र निम्न मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से आता हूं. मेरे परिवार की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी. मुझे आगे बढ़ता देख कुछ लोग जल रहे हैं और निशाना बना रहे हैं. मैं कानूनी कार्रवाई करूंगा.
इस बीच साकेत गोखले द्वारा लगाए गए आरोपों पर भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि इस खुलासे के बाद सीईओ महाराष्ट्र का दफ्तर अपनी सफाई में क्या कहानी बताता है. कोई बिल्कुल नई या फिर वही विकास दुबे एनकाउंटर टाइप घिसी पिटी!