उत्तर भारत इस समय बुरी तरह बाढ़ की मार झेल रहा है. लगातार बारिश और बाढ़ न सिर्फ इंसानों को मार रही है बल्कि जानवर भी जान गंवाने पर मजबूर हैं. असम में बाढ़ से हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि इस साल अब तक काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 11 गैंडों सहित 116 जंगली जानवरों की मौत हो चुकी है.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान प्राधिकरण के अनुसार, बाढ़ की वजह से 9 गैंडे पानी में डूब गए जबकि दो अन्य की स्वाभाविक मौत हो गई. इसके अलावा, 88 हॉग हिरण, 7 जंगली सुअर, चार जंगली भैंस, दो दलदल हिरण, दो पोरपाइन, एक सैम्बर भी बाढ़ की वजह से मारे गए हैं.
पार्क प्राधिकरण और सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ रिहैबिलिटेशन एंड कंजर्वेशन (CWRC) ने बाढ़ की स्थिति के दौरान दो राइनो बछड़ों, 110 हॉग हिरण, चार बाघ, एक जंगली भैंस, एक जंगली सुअर, एक दलदली हिरण सहित 143 जानवरों को बचाया भी है. पार्क का 90 प्रतिशत क्षेत्र अभी भी पानी में है.
असम का यह राष्ट्रीय उद्यान 2600 से अधिक गैंडों के साथ एक से ज्यादा सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी का घर है. राइनो जनसंख्या अनुमान रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों की कुल संख्या 2,413 है.
बीते दिनों काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से एक थके हुए राइनो (गैंडा) का वीडियो सामने आया था जो राष्ट्रीय राजमार्ग – 37 पर सोया हुआ था क्योंकि जंगल पूरी तरह से पानी में डूब चुके हैं. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान रेंज में बंदर धूबी क्षेत्र के पास से गुजरते हुए लोगों ने इसका वीडियो बनाया था जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
वीडियो में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति और जंगली जानवरों की विनाशकारी हालत और उनका संघर्ष दिख रहा था. खाने के अभाव की वजह से गैंडों की लगातार मौत हो रही है. कुछ स्थानीय लोगों ने इन एक सींग वाले गैंडों को घास जैसे कुछ खाद्य पदार्थ खाने को दिए लेकिन पर्याप्त भोजन की उपलब्धता नहीं होने के कारण वो लगातार कमजोर होकर भूख से मर रहे हैं.
स्थानीय निवासी जितेन गौर ने बताया, “जब हमें पता चला कि, एक थका हुआ राइनो इस क्षेत्र में फंस गया है और भोजन के संकट का सामना कर रहा है, तो हम यहां आते हैं और राइनो को कुछ खाने के लिए दे देते हैं. जंगली जानवरों की मदद करना हमारा कर्तव्य है. उन्होंने कहा इस बाढ़ की स्थिति के दौरान, जानवरों को खाद्य संकट का सामना करना पड़ रहा है.