कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़े फैसले लेने के संकेत दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता पर सख्ती दिखाते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति इसका पालन करता हुआ नहीं दिखता है तो उनसे बतौर जुर्माना 500 रुपये वसूले जाएं.
इसके साथ ही उन्होंने टेस्टिंग की संख्या लगातार बढ़ाए जाने पर भी जोर दिया है. यूपी सीएम ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए इन्फ्रारेड थर्मामीटर तथा पल्स ऑक्सीमीटर का कोरोना स्क्रीनिंग के लिए प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जाए.
यूपी सीएम ने एयरपोर्ट तथा रेलवे स्टेशनों पर मौजूद इन्फ्रारेड स्कैनर्स तथा पल्स ऑक्सीमीटरों को क्लाउड के माध्यम से आपस में जोड़ते हुए ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि इस डाटा का उपयोग कोविड-19 से प्रभावी ढंग से निपटने में किया जा सके.
सीएम ऑफिस ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने और मरीजों की निगरानी के लिए एक प्रभावी मॉडल तैयार किया जाएगा.
इस संबंध में पीजीआई, केजीएमयू, राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशकों व वरिष्ठ डॉक्टरों को एक टीम बनाने का भी निर्देश दिया गया है. साथ ही पूरे प्रदेश में सर्विलांस के लिए एक लाख टीमें गठित करने की भी बात कही है.
सीएम ऑफिस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा बाजारों की बंदी शनिवार-रविवार को निर्धारित की गई है.
इसका कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए. साथ ही, इन 2 दिनों में स्वच्छता और सैनिटाइजेशन के कार्य प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किए जाएं.
मुख्यमंत्री ने रैपिड एन्टीजन टेस्ट किट्स ज्यादा संख्या में मंगाकर सभी जनपदों में भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कहा है कि जिन जनपदों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, वहां रैपिड एन्टीजन टेस्ट किट्स ज्यादा संख्या में भेजी जाएं, ताकि टेस्टिंग की संख्या बढ़ाई जा सके.
इससे पहले KGMU के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष व कमेटी के सदस्य डॉ. वेद प्रकाश ने मुख्यमंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि वर्तमान में बारिश की वजह से वायु में नमी आने से संक्रमण बढ़ रहा है. इससे निपटने के लिए सभी को मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करना आवश्यक है. सार्वजनिक स्थलों पर प्रॉपर वेंटीलेशन आवश्यक है.
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के 80 प्रतिशत मरीज एसिम्पटोमैटिक या माइल्ड हैं, जबकि 15 प्रतिशत मरीज मॉडरेट हैं. इसके अलावा, 5 प्रतिशत मरीज ही सीवियर या क्रीटिकल हैं. इससे बचने के लिए एसिम्पटोमैटिक या माइल्ड मरीजों का होम आइसोलेशन किया जाना चाहिए.