इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने का कारण सरकार से पूछा है. कोर्ट ने कहा है कि अगर संतोषजनक कारण सामने नहीं आए, तो वो खुद संज्ञान लेकर मामले का परीक्षण करेगा.
जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस मनीष कुमार की पीठ ने शिव प्रकाश मिश्र सेनानी पर आदेश देते हुए कहा कि सरकारी अधिवक्ता सक्षम अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करके यह बताएं कि निर्धारित अवधि में याची के प्रत्यावेदन पर निर्णय क्यों नहीं लिया गया. जवाब असंतोषजनक होने पर अदालत अवमानना का संज्ञान लेगी.
याचिकाकर्ता के वकील एसएन सिंह रैक्वार ने बताया कि मेरे मुवक्किल शिव प्रकाश मिश्र सेनानी, राजा भैया के खिलाफ विधान सभा चुनाव लड़ चुके हैं. उनको जान का खतरा है. उन्हें सुरक्षा मिली हुई थी, जिसकी मियाद खत्म हो रही थी और याचिकाकर्ता ने इसे जारी रखे जाने के लिए प्रत्यावेदन भी दिया हुआ था पर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा था.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सुरक्षा बरकरार रखने के साथ राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लिए जाने का मुद्दा उठाया.
इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपी रघुराज प्रताप सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमें सरकार के इशारे पर वापस लिए गए हैं तो इसका कारण स्पष्ट किया जाए.
हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि अगर संतोषजनक कारण नहीं बताया जाता है तो अदालत इसका भी स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रकरण का परीक्षण करेगी. हाई कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों को नरमी के साथ वापस लिए जाने के मामले का परीक्षण किए जाने की जरूरत है.