राजस्थान के राजनीतिक संकट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि राज्यों के प्रभारी महासचिवों ने अपना काम नहीं किया है और सोनिया गांधी के नेतृत्व वाले संगठन को मजबूत करने के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) स्तर पर सुधार की जरूरत है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन किया और कहा कि बागी नेता सचिन पायलट को धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए. मोइली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कई युवाओं को प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन उनका टेस्ट लेने की आवश्यकता है. आप केवल दिग्गजों की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि आज के कई युवाओं में धैर्य बिल्कुल नहीं है. उन्हें दृढ़ता रखने की आवश्यकता है. सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के लायक हो सकते हैं, लेकिन उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना चाहिए था. 42 वर्षीय नेता को सांसद, केंद्रीय मंत्री, उपमुख्यमंत्री और पीसीसी अध्यक्ष जल्दी बनाया गया था.
पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि राज्यों के प्रभारी एआईसीसी महासचिव सतर्क नहीं हैं और स्थानीय पार्टी इकाइयों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को नहीं समझते हैं. राजस्थान संकट को रोका जा सकता है. वे (महासचिव) केंद्रीय नेतृत्व के ध्यान में नहीं लाते हैं. राजस्थान में तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए.
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि इन दिनों हम इस तरह की कवायद नहीं कर रहे हैं चाहे वह उत्तर-पूर्वी राज्य हों, या मध्य प्रदेश या कर्नाटक. कई बार हाई-कमान की ओर से सतर्कता का भी अभाव है. परिणामस्वरूप जब सब कुछ हो जाता है, तभी वे आतंकित हो जाते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए.
आंध्र प्रदेश, असम, केरल, तमिलनाडु, पुदुचेरी के कांग्रेस प्रभारी रह चुके वीरप्पा मोइली ने कहा कि मैं सभी राज्यों में जाता था. कार्यकर्ताओं की शिकायत सुनता था. इन दिनों ये नहीं किया जाता है. अब उन लोगों को राज्यों का प्रभार दिया गया है, जिनके पास वहां जाने या वहां रहने का कोई समय नहीं है. न ही वे जिलों का भ्रमण कर रहे हैं.
वीरप्पा मोइली ने कहा कि आपको न केवल राज्य स्तर पर बल्कि जिला स्तर पर भी नेताओं की आकांक्षाओं को समझना होगा. निष्ठावान नेताओं को लगाकर कांग्रेस को मजबूत करना होगा. बीजेपी बस मौके का इंतजार करती है. उनके निशाने पर गैर-भाजपा सरकारें और वे इन आकांक्षी युवाओं (अन्य दलों से) को पकड़ते हैं, जो शालीन हैं.