जम्मू-कश्मीर में कई नेता आतंकियों के निशाने पर हैं। घाटी में पांच अगस्त से पहले व्यापक हिंसा की साजिश आतंकी तंजीमों ने रची है।
अनुच्छेद 370 हटने के एक साल पूरे होने पर यह षड्यंत्र सीमा पार से रचा गया है। इसके तहत नेताओं, पंचायत नुमाइंदे और सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाने के निर्देश दिए गए हैं। सूत्रों के अनुसार सुरक्षाबलों को ऐसी सूचनाएं मिलने के बाद विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पांच अगस्त से पहले आतंकी संगठनों की ओर से कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर कई वारदातें अंजाम दी जा सकती हैं।
इसमें खासकर नेताओं व पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले किए जा सकते हैं। पुलिसकर्मियों को अगवा कर उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए धमकाया जा सकता है। इसके साथ ही कश्मीरी पंडितों व अन्य बाहरियों को धमकी दी जा सकती है। सुरक्षा प्रतिष्ठानों और सुरक्षाबलों पर हमले की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान यह सब इसलिए करवाएगा ताकि वह दुनिया को बता सके कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में बहुत कुछ नहीं बदला है। इससे पहले भी वह कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर 370 हटाने का विरोध दर्ज करा चुका है।
सबसे ज्यादा संवेदनशील दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर है। कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की अनंतनाग में हत्या के बाद न केवल कश्मीरी पंडितों बल्कि आम पंचायत प्रतिनिधियों में भी खौफ है। वे लगातार अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि हर स्थिति से निपटने में सुरक्षाबल सक्षम हैं। घाटी में किसी प्रकार से माहौल को खराब नहीं होने दिया जाएगा। आतंकियों पर लगातार नकेल कसी जा रही है। इस साल अब तक 120 से अधिक आतंकी मारे जा चुके हैं।
जो बचे हैं वह भी मार गिराए जाएंगे। यों तो सुरक्षाबल हर वक्त अलर्ट मोड में रहते हैं लेकिन अमरनाथ यात्रा और पांच अगस्त को लेकर विशेष सतर्कता बरती जाएगी।
कश्मीर के आईजी विजय कुमार का कहना है कि यदि किसी भी जनप्रतिनिधि को किसी प्रकार का खतरा है या उन्हें कोई धमकी मिली है तो ऐसे लोगों को सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। सबकी सुरक्षा करना पुलिस की प्राथमिकता है। ऐसे लोगों को पुलिस से मिलकर जानकारी साझा करनी चाहिए।