पतंजलि द्वारा कोरोना वायरस की दवा ढूंढ निकालने का दावा नए-नए सवालों के घेरे में घिरता जा रहा है. उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी किया है.
सरकार का कहना है कि लाइसेंस इम्युनिटी बूस्टर के लिए दिया गया था, ना कि कोरोना की आयुर्वेदिक दवा के लिए. लेकिन दूसरी ओर सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पतंजलि की दवा के परिणाम अच्छे रहे हैं.
अब एक ओर जहां पतंजलि द्वारा कोरोना की तैयार की गई दवाई का दावा करने वाले योग गुरु रामदेव पर उत्तराखंड सरकार और केन्द्र सरकार के आयुष विभाग द्वारा नोटिस जारी कर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी गई हैं.
वहीं दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है पतंजलि द्वारा जो कोरोना की दवाई बनाई गई है उसके परिणाम अच्छे रहे हैं, जिसकी निम्स जयपुर के निदेशक ने भी प्रशंसा की है.
सीएम रावत का कहना है कि इस दवाई से 3 दिनों में 69 प्रतिशत और एक सप्ताह में 100 प्रतिशत मरीज ठीक हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी सरकार के कुछ नियम कानून होते हैं उन्हें पूरा करना पड़ता है. इसलिए पतंजलि को नोटिस भी जारी हुआ है और उन्होंने भी इसे स्वीकार किया है.
कोरोना वायरस की दवा पर छिड़े विवाद के बीच उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी को नोटिस जारी किया है. सरकार का कहना है कि लाइसेंस इम्युनिटी बूस्टर के लिए दिया गया था, ना कि कोरोना की आयुर्वेदिक दवा के लिए. दिव्य फार्मेसी को सात दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है.
संयुक्त निदेशक (आयुष) डॉ वाईएस रावत ने कहा कि हमने कोरोना की दवा के लिए कोई लाइसेंस जारी नहीं किया. दिव्य फार्मेसी ने इम्युनिटी बूस्टर के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था.
डॉ वाईएस रावत ने कहा कि दिव्य फार्मेसी को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है. अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है.
यहां बता दें कि योग गुरु रामदेव ने मंगलवार को ऐलान किया था कि पतंजलि ने कोरोना वायरस को हराने वाली दवा बना ली है, जो एक हफ्ते के अंदर मरीजों को पूरी तरह ठीक कर देगी.
लेकिन दवा के ऐलान के साथ ही विवाद शुरू हो गया. केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय को जैसे ही इस बात की खबर मिली उसने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस दवा के प्रचार पर रोक लगा दी, साथ ही पतंजलि से आवश्यक जानकारी भी मांगी.