बिहार में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य की जनता को संबोधित किया।
इस दौरान उन्होंने जनता को कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों से अवगत कराया। साथ ही आगे की योजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आगे राज्य के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई शुरू होगी। साथ ही सरकार बाहर से लौटे सभी लोगों को रोजगार देगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने हर स्तर पर स्थिति की समीक्षा की है। एक-एक चीज को खुद देखा है। क्वारंटाइन सेंटर को खुद देखा तथा वहां लोगों से बात की। सरकार इस महामारी को लेकर गंभीर है।
लॉकडाउन मे छूट मिली तो फिजिकल डिस्टेंसिंग भूल रहे लोगों को सचेत करते हुए उन्होंने इसे गलत बताया। कहा कि आपस में छह फीट की दूरी बनाकर रखिए।
घर में ही रहिए। बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाइए। फिजिकल डिस्टेंसिंग व लॉकडाउन के प्रावधानों का पालन करिए। उन्होंने लोगों को बीमारी को नहीं छिपाने की सलाह दी। कहा कि तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल को जरूर सूचना दें। बुजुर्गों व बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले मास्क की दिक्कत थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। जीविका के माध्यम से मास्क का उत्पादन किया गया है। क्वारंटाइन सेंटर में भी मास्क बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने कोरोना के खिलाफ जंग में गांव-गांव में लोगों के सहयोग की सराहना की। साथ ही बुजुर्गों व बच्चों का विशेष ध्यान रखने को कहा। बताया कि राज्य में पल्स पोलियो अभियान की तरह सबों की जांच कराई जा रही है। इसमें भी जनसहसोग जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि तीन मई के बाद बाहर से लौटे लोगों में तीन हजार लोग संक्रमित पाए गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि एक देश का आदमी देश में दूसरी जगह जाए तो उसे प्रवासी क्यों कहते हैं? एेसे लौटे लोगों को बिहार में रोजगार देने का काम चल रहा है।
बिहार में बाहर से आए सभी लोगों को सरकार रोजगार देगी। यह भी कहा कि राज्य में बाहर से आगे वाले अधिकांश लोग आ चुके हैं, इसलिए अब क्वारंटाइन सेंटर बंद किए जाएंगे। क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए हर व्यक्ति पर 5300 रुपये का खर्च किया गया।
राज्य में किए गए राहत के उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार ने बाहर फंसे लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से एक-एक हजार रुपये दिए।
राज्य में 1.62 करोड़ लोगों को राशन दिया गया। 3261 करोड़ की राशि लोगों को उनके खातों में दी गई। 85 लाख पेंशनधारियों को मदद दी गई। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को पांच सौ रुपये खर्च के लिए दिए। इतना ही नहीं, कोरोना उन्मूलन कोष का गठन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने आपदा प्रभावित लोगोें की हमेशा मदद की है। कोरोना की महामारी भी आपदा है। जो भी आपदा प्रभावित हैं, सरकार के खजाने पर पहला अधिकार उनका है। पूरे राज्य में 500 से अधिक आपदा राहत केंद्र चले।
राज्य में संक्रमण की स्थिति की जानकारी देते हुए उन्होंने जन-जागरूकता पर बल दिया। बताया कि पोस्टरों व संचार माध्यमों के जरिए लोगों को जागरूक किजा जाता रहेगा। स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधि भी लोगों को जागरूक करेंगे। इसमें उनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।