पिछले महीने दिल्ली में हुई हिंसा पर कांग्रेस ने कहा कि दिल्ली हिंसा से देश की छवि खराब हुई है. कई जगह पर पुलिस की कार्यशैली संदिग्ध दिखी है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और आम आदमी पार्टी (आप) वोट बैंक की राजनीति करती है. कांग्रेस यह मांग करती है कि दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा जिन गृह मंत्री पर है उनका इस्तीफा होना चाहिए.
दिल्ली हिंसा पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कांग्रेस के नेता मुकुल वासनिक ने सोमवार को कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के वर्तमान जज से न्यायिक जांच की मांग करते हैं.
हिंसा में हर पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उन पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई जिन्होंने कुछ नहीं किया. कांग्रेस का कहना है कि भड़काऊ भाषण देने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो.
कांग्रेस ने कहा कि हमारी मांग है कि दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा जिन गृह मंत्री (अमित शाह) पर है उनका इस्तीफा होना चाहिए. हम यह मानते हैं कि दिल्ली में जो स्थिति पैदा हुई उसे रोकने के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया. दिल्ली चुनाव के दौरान उनका एक भाषण देखा जिसमें वह कह रहे हैं कि यह करंट शाहीन बाग तक पहुंचना चाहिए.
उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा पर 600 से ज्यादा एफआईआर हुई हैं, लेकिन कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
मुकुल ने कहा कि हमारी मांग है कि बिना समय गवाते हुए इन नेताओं पर भी एफआईआर होनी चाहिए, हमें एसआईटी पर भरोसा नहीं है. स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए. साथ ही उन पुलिसवालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने ढंग से काम नहीं किया.
मुकुल वासनिक ने कहा कि हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर लोगों ने विश्वास व्यक्त किया, लेकिन हिंसा के दौरान दिल्ली सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम रही और यहां तक की कोई कदम भी नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के पुनर्वास में भी फेल साबित हुई. पुर्नवास को लेकर युद्ध स्तर पर कार्रवाई होनी चाहिए.
मुकुल वासनिक के साथ PC कर रहे शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) शुरुआत करते हैं कि कपड़े कैसे पहने हैं उससे पहचान सकते हैं.
फिर अमित शाह और एक के बाद एक बयान आए. लोगों को फोन आ रहे थे कि कुछ लोग आ रहे हैं. दुर्गा वाहिनी की एक नेता के चलते बाबरपुर में हिंसा शुरू हुई.
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे किस्से भी सामने आए जहां एकता दिखाई दी, क्या आपको पता नहीं चलता था कि पत्थरों से भरे ट्रक आ रहे हैं, दोनों ही सरकारों ने कोशिश की होती तो ऐसा नहीं होता. बीजेपी का तो काम है चाहे राम का मरे चाहे रहीम का मरे, लेकिन मेरी झोली भरे.