केंद्र सरकार संसद के सत्र में दिल्ली में हुई हिंसा पर खुली बहस करवाए: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि दिल्ली में हुए दंगों ने 1984 के दंगों की तरह ही झकझोर कर रख दिया। बसपा मुखिया ने कहा कि केंद्र सरकार संसद के सत्र में इस मामले पर खुली बहस करवाए।

सोमवार को मायावती ने एक ट्वीट में कहा कि ‘सन 1984 के भीषण सिख दंगे की तरह ही दिल्ली के अति-हिंसक दंगे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।

ऐसे में बेहतर होता कि सोमवार से शुरू हुए संसद के सत्र में केंद्र सरकार सभी काम स्थगित करके इस मामले पर खुली बहस कराकर जनता के सवालों का जवाब देती, लेकिन ऐसा नहीं करना दुखद।’

दरअसल, सोमवार से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ है, लेकिन लोकसभा की कार्यवाही वाल्मीकिनगर सीट से दिवंगत सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो को श्रद्धांजलि देने के बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

हालांकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने दिल्ली हिंसा को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया।

वहीं राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान केंद्र सरकार तीन दिन तक सोती रही। अगर ऐसा नहीं होता तो हिंसा रोकी जा सकती थी।

23 फरवरी, 2020 को दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में अब तक 47 की मौत हो चुकी है, जबकि 350 से ज्यादा लोग घायल हैं।

पुलिस के मुताबिक ज्यादातर लोगों की मौत गोली लगने की वजह से हुई है। पुलिस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा को लेकर अब तक 334 एफआईआर दर्ज की हैं। इसमें 44 मामले आर्म्स एक्ट के हैं। 33 लोगों की गिरफ्तारी हुई, जबकि 800 से ज्यादा को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

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